द एंगल।
जयपुर।
देर रात मिली नई जिम्मेदारी के बाद आज राजीव स्वरूप ने नवनियुक्त मुख्य सचिव के रूप में अपना पद भार संभाल लिया। डीबी गुप्ता ने उन्हें सीएस पद का चार्ज सौंपा। सीएस का चार्ज लेने के बाद स्वरूप ने कहा कि कोरोना के समय में आर्थिक हालात को ठीक करना हमारी बड़ी जिम्मेदारी है। कोरोना से बिगड़े आर्थिक हालात के मद्देनजर जरूरी कदम उठाते हुए प्रदेश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाना प्राथमिकता रहेगी।
राजीव स्वरूप बोले- अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना बड़ी चुनौती
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के समय राज्य के सामने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना बड़ी चुनौती है। साथ ही मेडिकल और स्वास्थ्य सेवाओं को भी पटरी पर लाना है। ऐसे में सभी को साथ लेकर समयबद्ध तरीके से तेजी से स्टेट को नॉर्मल बनाना ही सर्वोच्च प्राथमिकता है। सीएस ने कहा कि इस संकट के समय में मुख्यमंत्री ने मुझपर जो भरोसा जताया है, मेरी कोशिश है कि राज्य को इस कठिन परिस्थिति में तेजी से सामान्य व्यवस्था में लेकर आऊं।
डीबी गुप्ता ने सीएस राजीव स्वरूप को शुभकामनाएं दीं
इससे पहले डीबी गुप्ता बहुत कम समय के लिए सीएस ऑफिस आए और बुके देकर नए सीएस राजीव स्वरूप को शुभकामनाएं दीं। स्वरूप ने भी डीबी गुप्ता को अच्छे भविष्य की शुभकामनाएं दीं, जिसके बाद स्वरूप ने सीएस का चार्ज लिया। डीबी गुप्ता ने पत्रकारों से सिर्फ यही कहा कि सीएम से मिलकर वे जो जिम्मेदारी देंगे वही शिद्दत के साथ निभाऊंगा। उन्होंने अनौपचारिक बातचीत में यह भी कहा कि उन्हें आगे किस तरह की जिम्मेदारी दी जाती है, इसे लेकर जल्द ही स्थिति साफ हो जाएगी।
4 महीने मुख्य सचिव रहेंगे राजीव स्वरूप
बता दें स्वरूप आगामी अक्टूबर माह में रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में उनका सीएस पद का कार्यकाल 4 महीने का होगा। लेकिन यह भी माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री गहलोत उनके लिए 3 महीने का एक्सटेंशन लेकर उन्हें ज्यादा काम करने का मौका दे सकते हैं। स्वरूप ने लॉकडाउन डाउन के दौरान भी प्रदेश की कानून व्यवस्था पटरी से नीचे से नहीं उतरने दी, संभवतः इसी बात से खुश होकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी की कमान सौंपी है।
मूलतः उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं राजीव स्वरूप
राजीव स्वरूप 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और यूपी में जन्मे हैं। राजीव स्वरूप सवाई माधोपुर और बाड़मेर के जिलों के कलक्टर रहे हैं। राजीव स्वरूप मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पसंदीदा ब्यूरोक्रेट माने जाते हैं और कोई भी महत्वपूर्ण फैसला लेने से पहले मुख्यमंत्री स्वरूप से सलाह-मश्विरा जरूर करते हैं।