द एंगल।
जयपुर।
भारतीय जनसंघ के संस्थापक और भारतीय जनता पार्टी बीजेपी के प्रमुख आदर्शों में से एक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Dr. Shayama Prasad Mukherjee) की आज 120वीं जयंती है। इस मौके पर अपने आदर्श नेता को याद करते हुए बीजेपी के तमाम नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी को पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
जनसंघ के संस्थापक श्यामा मुखर्जी की जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से लेकर बीजेपी के तमात नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, “डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर मैं उन्हें नमन करता हूं। वे एक सच्चे राष्ट्रभक्त थे, जिन्होंने भारत के विकास में अहम् भूमिका निभाई। देश की एकता के लिए उन्होंने योगदान दिया और उनके विचार करोड़ों लोगों को प्रेरित करते हैं।”
नड्डा ने अखंड भारत की संकल्पना को बताया अनुसरणीय
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लिखा, “राष्ट्रोत्थान व सेवाभाव को आधार बनाकर भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वाले परम श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की जयंती पर उन्हें कोटि कोटि नमन। समतामूलक समाज व अखंड भारत की संकल्पना के पोषक आपके विचार “आत्मनिर्भर भारत” के निर्माण में अत्यंत अनुसरणीय हैं।”
गृहमंत्री अमित शाह ने दी श्रद्धांजलि
वहीं भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लिखा, “डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के रूप में देश को एक ऐसा दूरदर्शी नेता मिला, जिसने भारत की समस्याओं के मूल कारणों व स्थायी समाधानों पर जोर दिया और उनके लिए जीवन पर्यन्त संघर्ष किया। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर केन्द्रित जनसंघ और आज की भाजपा डॉ. मुखर्जी की ही दूरदर्शिता का परिणाम है।”
राजस्थान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने किया नमन
राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी मुखर्जी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ट्वीट किया, ‘एक देश में दो विधान, दो निशान, दो प्रधान नहीं चलेंगे’ का नारा देने वाले, कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले, जनसंघ के संस्थापक आदरणीय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन।’
सबसे पहले श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने ही उठाई थी कश्मीर से धारा 370 हटाने की मांग
बता दें 6 जुलाई, 1901 को तत्कालीन कलकत्ता में जन्मे श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1951 में विचारधारा में मतभेद के चलते पंडित जवाहरलाल नेहरू से अलग हो गए थे और फिर उन्होंने एक अलग राजनीतिक संस्था भारतीय जनसंघ की स्थापना की। इतना ही नहीं कश्मीर से धारा 370 को हटाने की पहल भी सबसे पहले डॉ. मुखर्जी ने ही की थी। यही वजह थी कि उन्होंने एक देश में दो विधान, एक देश में दो निशान, एक देश में दो प्रधान नहीं चलेंगे-नहीं चलेंगे जैसे नारे दिए थे।
कांग्रेस से अलग होने के बाद 1953 में उन्होंने बिना परमिट के कश्मीर दौरा किया था। तब तत्कालीन सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था और उनकी वहीं रहस्यमय परिस्थियों में मौत हो गई थी। मुखर्जी की मौत के बाद से ही बीजेपी का ‘जहां हुए बलिदान मुखर्जी वो कश्मीर हमारा है, जो कश्मीर हमारा है, वह सारा का सारा है’ नारा प्रमुख रहा है।