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स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद को जयंती पर राष्ट्र कर रहा नमन

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द एंगल।

जयपुर।

देश आज दो वीर स्वतंत्रता सेनानियों लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) चंद्रशेखर आजाद (Chandra shekhar Azad) को याद कर रहा है। उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू ने ट्वीट कर दोनों को श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने लिखा- ‘राष्ट्र के समक्ष ऐसे उदात्त आदर्शों के प्रणेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जन्म जयंती पर आदर्श पुरुष के यश और उनकी पुण्य स्मृति को सादर प्रणाम करता हूं।’ चंद्रशेखर आजाद को नमन करते हुए उपराष्ट्रपति ने लिखा- अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद की जन्म जयंती के अवसर पर विलक्षण युवा नायक की स्मृति को सादर नमन करता हूं।

उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री गहलोत ने दी श्रद्धांजलि

उपराष्ट्रपति के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर को याद किया। पीएम मोदी ने एक ट्वीट में कहा- भारत मां के दो वीर सपूत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद को उनकी जन्म-जयंती पर शत-शत नमन। वहीं सीएम गहलोत ने ट्वीट किया, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की जयंति पर श्रद्धांजलि। आजादी के लिए संघर्ष के दिनों में उनके विचार, उनका साहब और उनका हौसला आनेवाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी है।

गणेशोत्सव का भव्य रूप में आयोजन करवाया शुरु

लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने 1876 में बीए की डिग्री हासिल की। इसके बाद 1879 में उन्होंने एलएलबी की परीक्षा पास की। तिलक चाहते तो आसानी से सरकारी नौकरी कर सकते थे। लेकिन उन्होंने देशसेवा का मार्ग चुना। तिलक ने अपने सहयोगी आगरकर और समाजशास्त्री विष्णु शास्त्री चिपुलंकर के साथ मिलकर डेक्कन एजुकेशन सोसायटी शुरू की। इसके जरिए वे युवाओं को उच्च शिक्षा के मौके प्रदान करने लगे। उन्होंने कुछ पत्रिकाओं का प्रकाशन भी शुरू करवाया। तिलक के लेख देशभक्ति की भावना से भरे होते थे। 1890 में तिलक कांग्रेस के साथ जुड़े। तिलक ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने की दिशा में भी काम किया। जिस भव्य रूप में गणेशोत्सव आज महाराष्ट्र में मनाया जाता है उसका श्रेय भी लोकमान्य तिलक को ही जाता है। उन्होंने सार्वजनिक उत्सवों के जरिए लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने का काम किया।

तिलक ने दिया पूर्ण स्वराज का नारा

1916 में बाल गंगाधर तिलक ने होमरूल लीग की स्थापना की। इसका उद्देश्य स्वराज की स्थापना था। उन्होंने घर-घर जाकर लोगों को होमरूल लीग के उद्देश्यों को समझाया। 23 जुलाई 1856 को जन्मे बाल गंगाधर तिलक का 1 अगस्त 1920 में निधन हो गया। पूर्ण स्वराज के लिए भी सबसे पहले तिलक ने ही नारा दिया। उन्होंने कहा था कि स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा।

आजाद ने पिता का नाम बताया था स्वतंत्रता

चंद्रशेखर आजाद 15 साल की उम्र में ही असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए थे। इसके चलते वो जीवन में पहली बार जेल गए थे। जब जेल में चंद्रशेखर से पूछताछ की गई तो उन्होंने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता और पता जेल बताया था। महज 17 साल की उम्र में आजाद हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़े। प्रबुद्ध होने के कारण उनका नाम क्विक सिल्वर रखा गया। 1925 में हुए काकोरी कांड में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी। क्रांतिकारियों के इस प्रयास ने अंग्रेजों को हिलाकर रख दिया था।

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