दा एंगल।
जयपुर।
राजस्थान के कोटा स्थित मुकुंदरा हिल्स का नाम कोटा के प्रसिद्ध प्रकृति प्रेमी हाडा शासक मुकुंद सिंह के नाम पर रखा गया। 3 अप्रेल 2018 को प्रदेश के तीसरे टाइगर रिजर्व मुकुंदरा हिल्स में पहला बाघ बसाया गया था। मुकुंदरा प्रदेश का तीसरा टाइगर रिजर्व है। यह 759 वर्ग किलोमीटर में यह फैला हुआ है।
मुकुंदरा टाइगर रिजर्व का नोटिफिकेशन 10 अप्रेल 2013 को जारी हुआ था। 3 अप्रेल 2018 को इस रिजर्व में सबसे पहले सवाईमाधोपुर के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के टी-91 नर बाघ को लाया गया था। इसे यहां एमटी-1 नाम दिया गया। गौरतलब है कि मुकुंदरा टाइगर रिजर्व बनाने के पीछे सरकार की मंषा बाघों के संरक्षण की थी।
मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में हुई थी बाघिन एमटी-2 की मौत
वहीं राजस्थान में बाघों पर मंडरा रहा काल अब भी थमने का नाम नहीं ले रहा। पिछले दिनों कोटा में मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बाघिन एमटी-2 की मौत हो गई। करीब पंद्रह दिन बाद बाघिन के शावक की भी मौत की खबर है। बाघिन ने दो महीने पहले ही दो शावक जन्मे थे अब उनमें से एक ने दम तोड़ दिया और वहीं दूसरा शावक लापता है।
शावक में था हीमोग्लोबिन कमजानकारों की मानें तो शावक के बहुत छोटे होने के कारण उस पर अन्य जंगली जानवरों के हमले का खतरा भी मंडरा रहा है। बाघिन के शावक का वन्यजीव चिडियाघर में इलाज चल रहा था और वह चिकित्सकों की लगातार निगरानी में था। लेकिन उसके बाद भी उसकी हालत में सुधार नहीं हो रहा था। उसके खून की जांच में हीमोग्लोबिन भी कम पाया गया था और इसी का इलाज भी चल रहा था। लेकिन इलाज के दौरान ही वह चल बसा। अब एनटीसीए के नियमों के तहत उसका पोस्टमार्टम किया जाएगा।
बाघिन एमटी-2 को दिसंबर 2018 में रणथंभौर से यहां लाया गया था। बाघिन 82 वर्ग किमी क्षेत्र में बाघ एमटी-1 के साथ रह रही थी। गौरतलब है कि 23 जुलाई को इस टाइगर रिजर्व में बाघ एमटी-3 की भी मौत हो गई थी। बाघ की मौत में अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई थी। इससे पहले मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 23 जुलाई 2020 को बाघ एमटी-3 की संक्रमण से मौत हो गई थी। वन्यजीव प्रेमियों में शावक की मौत के बाद रोष है।