द एंगल।
जयपुर।
राजस्थान में बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय मामले को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई एक सप्ताह के लिए टाल दी गई है। जस्टिस सबीना और जस्टिस सी के सोनगरा की खण्डपीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए अब 2 सितंबर की तारीख तय की है।
याचिका में मतदान के समय जारी गजट नोटिफिकेशन के अनुसार दलों की स्थिति बहाल करने की मांग
एडवोकेट हेमंत नाहटा की ओर से दायर की गई जनहित याचिका में विधानसभा चुनावों के बाद 12 दिसंबर 2018 को जारी किए गए गजट नोटिफिकेशन के अनुसार बनी दलों की स्थिति को फिर से बहाल करने की मांग की गई है। इसके साथ ही बसपा के सभी 6 विधायकों के राजस्थान विधानसभा परिसर में प्रवेश पर रोक लगाने, विधायकों के कांग्रेस में विलय को रद्द करने, विधानसभा अध्यक्ष के 18 सितंबर 2019 के आदेश को अपास्त करने, विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने और बसपा से कांग्रेस में विलय से जुड़े सभी दस्तावेजो को अमान्य घोषित करने की भी मांग की गई है।
कोर्ट की एकलपीठ 24 अगस्त को अपना फैसला सुना चुकी
गौरतलब है कि इस मामले में जुड़ी बसपा और भाजपा विधायक मदन दिलावर की याचिकाओं पर राजस्थान हाईकोर्ट की एकलपीठ 24 अगस्त को अपना फैसला सुना चुकी है। जस्टिस महेंद्र गोयल की एकलपीठ ने मामले को फिर से विधानसभा स्पीकर के पास भेज दिया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी मदन दिलावर की एसएलपी को खारिज कर दिया है।
वैसे माना जा रहा है कि यहां भी इस याचिका को खारिज कर दिया जाएगा या अदालत ऐसा कोई फैसला नहीं देगी जिससे बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय या उनके विधानसभा परिसर में प्रवेश पर कोई संकट आए। इसकी वजह यह है कि इसी तरह की एक याचिका हाईकोर्ट की एकलपीठ खारिज कर चुकी है जिसमें कुछ इसी तरह की मांग की गई थी और सुप्रीम कोर्ट भी बसपा विधायकों के विलय को अमान्य घोषित करने की मांग वाली एसएलपी को खारिज कर चुका है।