द एंगल।
जयपुर।
मानसून (Monsoon) की मेहरबानी कहिए या कुदरत का कमान कि इस बार राजस्थान में एक भी जिला ऐसा नहीं है, जहां बारिश न हुई हो। पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर जिले (Jaisalmer district) पर बादल इस बार जरूरत से ज्यादा मेहरबान रहा। इसके चलते रेतीले धोरों में लोग पानी की एक-एक बूंद को तरसते हैं, वहां इस बार नदियां बहती देखी गईं। थार के इस रेगिस्तान में बरसों बाद हुई जबर्दस्त बारिश ने लोगों को चौंका दिया है। यहां इस बार औसत से 87.9 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।
जैसलमेर में औसत से बहुत ज्यादा, अन्य जिलों में सामान्य से कम बारिश
इस बार मानसून में प्रदेशभर में जैसलमेर ही एकमात्र ऐसा जिला है, जहां असामान्य बारिश हुई है। यहां इस सीजन में 272.83 मिमी बारिश हो चुकी है। यह औसत बारिश की तुलना में 87.9 प्रतिशत अधिक है। जबकि प्रदेश में इस वर्ष अब तक सबसे कम बारिश अलवर जिले में दर्ज की गई है। वहां सामान्य से 28 फीसदी कम बारिश हुई है। अलवर के अलावा चित्तौड़गढ़, दौसा, धौलपुर, झालावाड़, बारां, भरतपुर, भीलवाड़ा, बूंदी, झुंझुनूं, करौली, कोटा, टोंक, बीकानेर और हनुमानगढ़ में भी औसत से कम बारिश दर्ज की गई है।
प्रदेश के 119 बांध हो चुके लबालब
राज्यभर में अब तक औसत से 6 फीसदी ज्यादा बारिश हो चुकी है। प्रदेश में सामान्यतः 362.9 मिलीमीटर बरसात होती है, लेकिन इस बार अभी तक 385.2 मिलीमीटर वर्षा हो चुकी है, जबकि अभी मानसून की विदाई में थोड़ा समय बाकी है। प्रदेश में बरसे मेघों की बदौलत इस बार 742 में से 119 बांध लबालब हो चुके हैं। वहीं 390 बांध आंशिक रूप से भरे हैं, जबकि 223 बांध अभी भी खाली हैं।
17 सितंबर से मानसून की विदाई
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में इस वर्ष मानसून का प्रदर्शन सामान्य रहा है। राज्य में पिछले एक महीने से ज्यादा समय से चल रहा बारिश का दौर अब धीमा पड़ने लगा है। इसकी वजह है दक्षिण-पश्चिम मानसून का कमजोर पड़ना। अब मानसून अपनी विदाई के बेला में है। राजस्थान में आमतौर पर कुछ हिस्सों में 17 सितंबर से मानसून की विदाई शुरू हो जाती है और यह 30 सितंबर तक चलती है।