द एंगल।
रायपुर।
हाथरस सामूहिक दुष्कर्म मामले को लेकर पूरे देश में गुस्सा राजनीतिक पार्टियों से लेकर आमजन तक उबाल पर है। मामले में निष्पक्ष जांच और पीड़िता के परिवार को न्याय की मांग को लेकर विभिन्न राज्यों में विरोध-प्रदर्शन भी हो रहे हैं। हाथरस की घटना के बाद उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों और देश के कुछ अन्य राज्यों में भी दुष्कर्म की घटनाएं सामने आई हैं। ऐसी ही एक घटना छत्तीसगढ़ के बलरामपुर से सामने आई है। यहां पर 14 वर्षीय लड़की के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया है। लेकिन बवाल तब हुआ जब भूपेश बघेल सरकार में श्रम मंत्री शिव कुमार डहरिया ने इस घटना को हाथरस दुष्कर्म मामले से तुलना करते हुए छोटी घटना बता दिया।
मंत्री शिव कुमार डहरिया ने बदला दुष्कर्म को लेकर दिया अपना बयान
अब इस मामले पर मंत्री ने अपना बयान बदल दिया है। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म घटना कोई छोटी घटना नहीं है। उन्होंने सफाई पेश करते हुए कहा कि मैंने दुष्कर्म घटना को कोई छोटी घटना नहीं कहा। दुष्कर्म हमेशा बड़ी घटनाएं होती हैं। मैंने सिर्फ दुष्कर्म मामलों पर अपने विचार प्रकट किए थे। मेरे विचार दुष्कर्म पर नहीं थे।
वीडियो वायरल होने के बाद विपक्ष ने की मंत्री डहरिया के इस्तीफे की मांग
बता दें मंत्री शिव कुमार डहरिया का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें उन्होंने दुष्कर्म को छोटी घटना बताया है। वीडियो में वे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए नजर आ रहे हैं। इस दौरान उनसे एक पत्रकार ने बलरामपुर में नाबालिग से दुष्कर्म मामले को लेकर प्रश्न कर दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारे यहां जो घटना हुई है वह कोई हाथरस जैसी घटना नहीं है। मंत्री का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विपक्षी दल डहरिया के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
बलरामपुर मामले में अब तक 2 लोगों की हो चुकी गिरफ्तारी
उल्लेखनीय है कि बलरामपुर में 14 साल की नाबालिग को नशीला पदार्थ देकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया था। यही नहीं, इसके बाद पीड़िता को गला दबाकर मारने की भी कोशिश की गई थी। इस मामले में पुलिस अब तक दो लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है लिया गया है। फिलहाल पुलिस मामलें की जांच में जुट गई है।
सीएम गहलोत ने पूछा- किस हिंदू संस्कृति की बात करती है बीजेपी ?
वहीं हाथरस मामले को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट किया है। उन्होंने कहा कि हाथरस में रात को 2 बजे बच्ची का अंतिम संस्कार कर दिया गया यह लापरवाही हृदयविदारक है और पूरे देश के स्मृति पटल पर हमेशा के लिए छाई रहेगी। रात को पुलिस की देखरेख में आप दाह-संस्कार कर दो और मां बिलखती रहे सिर्फ अपनी बच्ची के अंतिम दर्शनों के लिए। कोरोना में भी दाह संस्कार के अंदर परिवार वालों को 20 लोगों की छूट दी गई है। बिना कोरोना के भी अंतिम संस्कार में परिवार को बॉडी पहले सौंपी जाती है, हमारे बॉर्डर पर शहीद होते हैं उनकी पार्थिव देह भी पहले गांव तक आती है, हेलीकॉप्टर से, प्लेन से आती है, विदेशों से भी शव लाये जाते है।
यह सम्मान देने की बात हमारे देशवासियों के संस्कार, संस्कृति एवं धार्मिक मान्यताओं के आधार पर हमेशा रही है। ये सब बीजेपी के शासन में हुआ, फिर बीजेपी किस हिन्दू संस्कृति की बात करती है?