Home Crime पुरानी अखबारी खबर से अशोक गहलोत को बदनाम करने की साजिश

पुरानी अखबारी खबर से अशोक गहलोत को बदनाम करने की साजिश

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द एंगल।

जयपुर।

सोशल मीडिया के जमाने में कोई खबर मिली नहीं कि लोग उसे पलभर में वायरल कर देते हैं। कुछ लोग जहां ऐसा चर्चा बटोरने और लाइमलाइट में आने के लिए करते हैं, तो कुछ लोगों का उद्देश्य व्यक्ति विशेष की छवि को नुकसान पहुंचाना भी होता है। इस होड़ में कई बार वे इस बात की पुष्टि करना तक उचित नहीं समझते, जिस खबर को सोशल मीडिया पर साझा करने जा रहे हैं, वो खबर सही भी है या नहीं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर खबर की वास्तविकता जाने बगैर ही कई बार खबरों को सोशल मीडिया पर साझा कर दिया जाता है। ऐसे मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। लेकिन अगर कोई बहुत प्रतिष्ठित और जिम्मेदार व्यक्ति ऐसा करे तो उसे आप क्या कहेंगे ?

सतीश पूनिया ने सोशल मीडिया पर साझा की थी लव जिहाद से जुड़ी खबर

ऐसा ही एक ट्वीट राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने किया है। अपने इस ट्वीट में पूनिया ने एक अखबार की खबर की कटिंग साझा करते हुए प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े किए हैं। पूनिया ने लिखा, भारत के धर्म निरपेक्ष नेता अशोक गहलोत प्रकाश डालने का कष्ट करें। ऐसी एक नहीं अनेकों घटनाएं प्रदेश में रोज घटित होती हैं, कुछ करेंगे या अभी भी “लव जेहाद” को समर्थन जारी रखेंगे, इस तरीके से प्रताड़ित बच्चियों के लिए मुखिया कब बोलेंगे ?

हालांकि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने विपक्षी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष और प्रदेश का नागरिक होने के नाते जो मुद्दा उठाया वह निश्चित रूप से गंभीर था, उसपर प्रदेश सरकार को सख्त कदम भी उठाने चाहिए। लेकिन विपक्षी पार्टी के नेता होने के नाते डॉ. पूनिया शायद सरकार पर लांछन लगाने के लिए कुछ ज्यादा ही उत्साहित थे। इसी के चलते उन्होंने इस खबर की अपने विश्वसनीय सूत्रों से पुष्टि भी नहीं की, और सीधे सोशल मीडिया पर साझा कर दिया।

भाजपा प्रदेशाधअयक्ष डॉ. सतीश पूनिया द्वारा अपने ट्विटर हैंडल पर साझा की गई अखबार की कटिंग और टवीट का स्क्रीनशॉट

खबर की सत्यता परखे बिना ही शेयर कर दी खबर, 2017 का था मामला

लेकिन जिस जिम्मेदारी वाले पद पर वे विराजमान हैं, उसकी गरिमा का ख्याल रखते हुए उन्हें इस बात का ध्यान तो रखना ही चाहिए था कि खबर साझा करने से पहले वे उसकी सत्यता की जांच करते। मुख्यमंत्री आवास से मिली जानकारी के मुताबिक डॉ. सतीश पूनिया ने जिस खबर की कटिंग अपने ट्वीट में साझा की, वो 2017 की घटना की है। खबर का शीर्षक था ‘दुष्कर्म का वीडियो वायरल कर कराता था धर्म परिवर्तन’। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि प्रदेश में ये घटना उस समय घटित हुई थी, जब सूबे के मुखिया अशोक गहलोत नहीं, बल्कि उनकी अपनी पार्टी की नेता वसुंधरा राजे थीं।

ऐसे में किसी मुख्यमंत्री और उसकी सरकार की कार्यशैली पर बिना सत्यता की परख किए सवाल उठाना कितना जायज़ है, ये जनता जनार्दन को खुद तय करना चाहिए और डॉ. पूनिया को भी विपक्ष के नेता होने के नाते खुद को जिम्मेदार नेता दिखाते हुए सरकार पर झूठे लांछन लगाकर जनता को भ्रमित करने से बचना चाहिए। इसकी बजाय उनकी कोशिश होनी चाहिए कि वे सरकार के कामकाज में मौजूद खामियों को दूर करवाकर प्रदेश की जनता को सुशासन देने में मदद करते।

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