द एंगल।
जयपुर।
प्रदेश के 21 जिलों के पंचायती राज चुनावों में कांग्रेस लगातार बढ़त बनाए हुए है। राजस्थान में सत्तारूढ़ पार्टी ने झुंझुनूं में सफलता का परचम लहराया है। कांग्रेस ने यहां पंचायत समिति की 21 सीटों पर जीत दर्ज कर स्पष्ट बहुमत हासिल करने में सफल रही है। वहीं भाजपा यहां निर्दलीय प्रत्याशियों से भी पीछे रह गई। बीजेपी के खाते में महज 7 सीटें ही आईं, जबकि 9 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी जीतने में सफल रहे।
जैसलमेर में मंत्री शाले मोहम्मद के भाई हारे
वहीं जैसलमेर में राज्य के कैबिनेट मंत्री शाले मोहम्मद के भाई अमरदीन फकीर को हार का मुंह देखना पड़ा। वे बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे। उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी जानब खान ने मात दी। वहीं बीकानेर के लूणकरणसर से भी नतीजे सामने आ गए हैं। यहां से जेल में बंद कैदी की जीत हुई है। वहीं महेंद्र सारस्वत वार्ड-14 से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीतने में सफल रहे। पंचायती राज चुनाव से जुड़े ये दोनों परिणाम चौंकाने वाले माने जा रहे हैं।
पंचायती राज चुनावों की तस्वीर आज हो जाएगी साफ
बता दें प्रदेश में हाल ही में चार चरणों में संपन्न हुए पंचायती राज चुनावों (Panchayati raj election) की तस्वीर आज साफ हो जाएगी। इन चुनावों में जिला परिषद सदस्य पद के लिए 1 हजार 778 और पंचायत समिति के सदस्य पद के लिए 12 हजार 663 उम्मीदवारों ने भाग्य आजमाया है। आज इनके भाग्य का फैसला हो जाएगा। अब तक के नतीजों में जिला परिषद और पंचायत समिति, दोनों ही चुनावों में कांग्रेस विपक्षी पार्टी भाजपा से आगे चल रही है।
भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर
21 जिलों की पंचायत समिति सदस्य की 4 हजार 371 सीटों पर मतगणना जारी है। अब तक कुल 2 हजार 299 सीटों पर परिणाम घोषित किए गए हैं। इनमें से भाजपा 1 हजार 332 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है, जबकि कांग्रेस ने अभी तक 1 हजार 222 सीटों पर कब्जा किया है, वहीं 410 सीटों पर अन्य दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों को सफलता मिली है। वहीं जिला परिषद् सदस्य के चुनाव की बात करें तो 636 सीटों पर मतगणना जारी है। इनमें कांग्रेस ने अभी तक 79 सीटों पर जीत दर्ज की है, वहीं 40 सीटें बीजेपी के खाते में गई हैं, जबकि दो सीटों पर अन्य प्रत्याशियों को सफलता मिली है।
उल्लेखनीय है कि पंचायती राज चुनाव के तहत प्रदेश के 21 जिलों में 636 जिला परिषद सदस्यों और 4371 पंचायत समिति सदस्यों के पद के लिए चुनाव करवाए गए थे। शेष 12 जिलों में कानूनी अड़चनों के कारण चुनाव नहीं हो पाए थे।