द एंगल।
नई दिल्ली/जयपुर।
प्रदेश कांग्रेस की संभावित कार्यकारिणी के गठन पर चर्चा को लेकर पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा एक बार दिल्ली पहुंचे। यहां उन्होंने एआईसीसी प्रदेश प्रभारी अजय माकन से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने कार्यकारिणी में शामिल किए जाने वाले नामों को लेकर विस्तार से चर्चा की।
संगठन में अच्छे और सभी वर्गों के लोगों को दी जाएगी जगह
माकन से मुलाकात के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए डोटासरा ने कहा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि पीसीसी की कार्यकारिणी बहुत छोटी होगी और एकसाथ पूरी नहीं बनेगी। लेकिन इसमें इस बात का पूरा ध्यान रखा जाएगा कि संगठन में काम करने वाले बेहतर और सभी वर्गों से लोगों को मौका मिले। ऐसे नामों को लेकर चर्चा की गई जो संगठन को एकजुट रखने में भूमिका निभा सकें। इसके अलावा संगठन में वरिष्ठ और युवा नेताओं का संगम देखने को मिलेगा। उन लोगों को संगठन में शामिल किया जाएगा जो पार्टी के लिए समय दे सकते हैं, फील्ड में दौरे कर सकते हैं, कार्यकर्ताओं का मान-सम्मान बरकरार रखते हुए उनके काम कर सकते हैं, उनकी सुनवाई कर सकते हैं, ऐसे लोगों को कार्यकारिणी में मौका दिया जाएगा।
प्रदेश कार्यकारिणी में देखने को मिलेगा वरिष्ठ और युवा नेताओं का संगम
डोटासरा ने आगे कहा कि आलाकमान से डिस्कस करके कार्यकारिणी के गठन के लिए एक क्राइटेरिया बनाया है कि जनरल सेक्रेटरी और उपाध्यक्ष पदों पर वरिष्ठ लोगों को और सेक्रेटरी के पदों पर युवा नेताओं और यूथ कांग्रेस से जुड़े नेताओं जगह दी जाए, ताकि उनको भी ऊपर और नीचे दोनों जगह सम्मान मिले।
किसान कानूनों को लेकर सांप-छुछुंदर जैसी हुई केंद्र सरकार की स्थिति
वहीं किसानों के मुद्दे पर डोटासरा ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के ऊपर कुठाराघात कर रही है, अत्याचार कर रही है, अन्याय कर रही है, दमन की राजनीति मोदी सरकार कर रही है। ये हमारे देश का दुर्भाग्य है कि जो अन्नदाता हमारा पेट पालता है उसके वोट के आधार पर बने हुए प्रधानमंत्री बात नहीं सुन रहे हैं। सड़क पर सोया हुआ किसान कराह रहा है कि आपसे किसने कहा कि ये कानून लाइए, लेकिन उद्योगपति मित्रों के लिए मोदी जी कानून लाए।
अब वो उद्योगपति अड़े हुए हैं कि भई हम चुनाव में चंदा देते हैं, हमारा जिससे फायदा हो रहा है वो कानून आप वापस कैसे ले सकते हो, तो सांप-छुछुंदर वाली मोदी जी की स्थिति हो रही है। इधर किसान में आक्रोश है तो उधर उद्योगपति भी अपना दबाव बनाए हुए हैं। प्रमुख मांग किसानों की ये है कि जो तीन काले कृषि कानून केंद्र सरकार लाई है, वो वापस होने चाहिए।