आज पूरा देश महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मना रहा है। भगवान भोलेनाथ को जल, बेलपत्र, फल आदि चढ़ाने और उनके दर्शनों के लिए सुबह से ही भक्त मंदिरों के बाहर खड़े हुए हैं। वैसे तो शिवरात्री हर महीने आती है लेकिन महाशिवरात्री साल में केवल एक बार आती है। इस दिन का महत्व ज्यादा इसलिए भी है क्योंकि कहा जाता है कि आज के ही दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य की पूजा करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। सुबह की महाआरती के बाद मंदिरों के पट भक्तों के लिए खुल गए हैं। सोमवार के स्वामी चंद्र, बाबा सोमनाथ का दुर्लभ संयोग शिव योग महापर्व को खास बनाएगा। बाबा शिव की कृपा के साथ चंद्र देव की शीतलता भी बरसेगी। मंदिरों में शनिवार से ही तैयारियां तेज हो गई हैं।
योग सोमवार को दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से शुरू : फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को बाबा भोले को मनाने को भक्त आतुर हैं। महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को सोम कहा गया है। भगवान शिव को सोमनाथ कहा जाता है। सोमवार को शिवजी की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। महाशिवरात्रि पर सूर्य-चंद्रमा शिव योग बना रहे हैं। ये योग सोमवार को दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से शुरू हो रहा है। यह कल्याणकारक एवं सफलतादायक योग होता है। इसमें भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल मिलता है।
सिद्धि व शुभ योग भी : शिव योग में वेदाध्ययन, आध्यात्मिक चिन्तन और बौद्धिक कार्य करना भी शुभ माने जाते हैं। पूजन, जागरण और उपवास करने वाले मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता। महाशिवरात्रि पर श्रवण और घनिष्ठा नक्षत्र होने से सिद्धि एवं शुभ नाम के योग बन रहे हैं। तिथि, वार और नक्षत्र मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग भी बना रहे हैं। तीन शुभ योगों के कारण महाशिवरात्रि का पर्व और भी खास हो गया है। इन शुभ योगों में शिवजी की पूजा सफल हो जाती है। पं.ब्रह्मदत्त शुक्ल का कहना है कि महाशिवरात्रि पर भोले बाबा को पूजा से मनाया जा सकता है।