राजस्थान के रणथम्भौर में गांववाले वन विभाग से मुआवजा लेने के लिए टाइगर के हमलों का झूठा दावा कर रहे हैं। मुआवजे के लिए फर्जी टाइगर के हमलों के फर्जी केस सामने आ रहे हैं। वन विभाग ने कई मामले झूठे पाए हैं। हालांकि टाइगर के हमले में मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन लोग वन विभाग पर दबाव बनाकर रुपये ऐंठ रहे हैं ।वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बीते दिनों में टाइगर के हमला करने की कई घटनाएं सामने आई हैं। गांव के चरवाहे शंभू नाथ ने कहा कि उस पर देवपुरा चेकपॉइंट के पास टाइगर ने रविवार को हमला किया। उसने अपने शरीर में मामूली चोटें दिखाईं। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया।वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिक जांच में सामने आया है कि इलाके में टाइगर के हमला किए जाने का एक भी साक्ष्य वाला केस सामने नहीं आया है।वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि पिछले साल 13 साल के एक मेल टाइगर टी-28 को रेस्क्यु कराने पहुंची टीम को लोगों ने घेर लिया था। इस मेल टाइगर को स्टार या सितारा नाम से जाना जाता है। गंववालों के घेराव के बाद उन्होंने मुआवजा देने का दबाव बनाया। हालांकि कोई भी टाइगर से हमले से घायल नहीं हुआ था। आखिर विभाग को तीस हजार रुपये देने पड़े थे।अधिकांश मामलों में टाइगर सिर्फ तभी गांववालों पर हमला करता है जब वे उसके वन क्षेत्र में घुसपैठ करते हैं।रणथम्भौर में टाइगरों की संख्या अच्छी है इसलिए कई बार वे जंगलों से बाहर आ जाते हैं। सूत्रों की मानें तो कई बार वन विभाग के लोगों को टाइगर नजर आने के रातभर फर्जी फोन आते हैं।