The Angle
जयपुर।
डाॅ. भीमराव अंबडेकर की आज 130वीं की जयंती है। आज के दिन को समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। बाबा साहेब की जयंती भारत में ही नहीं दुनिया के कई देषों में मनाई जाती है। अम्बेडकर के जन्मदिन पर हर साल उनके करोड़ों अनुयायी उनके जन्मस्थल भीम जन्मभूमि महू मध्य प्रदेश, बौद्ध धम्म दीक्षास्थल दीक्षाभूमि, नागपुर, उनका समाधी स्थल चैत्य भूमि, मुंबई जैसे कई स्थानीय जगहों पर उन्हें अभिवादन करने लिए इकट्टा होते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते यह कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं।
शुरू से पढ़ाई में थे होशियार
बाबा साहेब का जन्म 14 अप्रेल 1891 में महू में सूबेदार रामजी शकपाल एवं भीमाबाई की चौदहवीं संतान के रूप में हुआ था। वे एक समाज सुधारक, भारतीय संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष और देश के पहले कानून मंत्री के रूप में उनकी भूमिका सर्वविदित है। इसके अलावा वह एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री, सक्रिय राजनीतिज्ञ, प्रख्यात वकील, श्रमिक नेता, महान सांसद, विद्वान और वक्ता भी थे। 31 मार्च 1990 को उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। अंबडेकर शुरू से ही पढ़ने में बहुत होशियार थे। मेधावी होने के चलते उन्हें छात्रवृत्ति लेकर 1913 में विदेश चले गए थे।
डाॅ. भीमराव आंबेडकर राष्ट्रपति ने किया नमन
डॉ. भीमराव आंबेडकर के अलावा भारतीय संविधान की रचना हेतु कोई अन्य विशेषज्ञ भारत में नहीं था। अतः सर्वसम्मति से डॉ. आंबेडकर को संविधान सभा की प्रारूपण समिति का अध्यक्ष चुना गया। 26 नवंबर 1949 को डॉ. आंबेडकर द्वारा रचित संविधान पारित किया गया। बाबा साहेब ने दलित समाज के लिए बहुत काम किए। उन्होंने उनके उत्थान संविधान में लिखा कि जब तक दलित समाज बराबरी पर ना आ जाए तब तक उनको आरक्षण दिया जाए। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा स्पीकर और राजस्थान के मुख्यमंत्री अषोक गहलोत ने ट्वीट करके उनको नमन किया। आंबेडकर मधुमेह से पीड़ित थे। 6 दिसंबर 1956 को उनकी मृत्यु दिल्ली में नींद के दौरान उनके घर में हो गई।