The Angle
जयपुर।
12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्सेज दिवस था। नर्सिंग प्रोफेशन की जन्मदात्री मिस फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिवस के रूप में नर्सेज डे मनाया जाता है। जिस तरह से मिस फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने अपने जीवनकाल में बहुत ही वीभत्स समय में चाहे महामारी हो या विश्व युद्ध में घायल सैनिक व आम नागरिक हो, अपनी जी जान लगा कर बहुत ही निष्ठा से पीड़ितों की देखभाल एवं सेवा की थी। ठीक उसी प्रकार हमारे देश व प्रदेश की नर्सेज भी जब भी कोई आपदा आती है तो जी जान से मरीजों की सेवा करती हैं।
12-12 घंटे निष्ठा और जज्बे के साथ काम कर रही है नर्सेज
पिछले 1 साल से वैश्विक महामारी कोरोना में हमारे प्रदेश की नर्सेज 12-12 घंटे अतिरिक्त कार्य पूर्ण निष्ठा एवं जज्बे के साथ कर रही हैं। जबकि कुछ लोग सिर्फ 2 घंटे अतिरिक्त कार्य ही करने का श्रेय ले रहे हैं। नर्सेज कभी भी अतिरिक्त कार्य करने का श्रेय नहीं लेती हैं बल्कि कहती है की ये हमारा कर्तव्य-धर्म है।
बहुत से स्थानों पर हमारे नर्सेज के डे ऑफ समेत तमाम अवकाश रद्द कर दिये गये हैं तथा अपने छोटे-छोटे बच्चों को छोड़ कर अपनी जान जोखिम में डालकर दिन-रात कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा कर रही हैं। ऐसे में अब सरकार की भी जिम्मेदारी बनती है कि वो भी नर्स को पूरा मान-सम्मान दे तथा उनकी हौसला अफजाई करे ताकि दुगुने जोश के साथ वो मरीजों की सेवा कर सकें।
नर्स डे पर सरकार ने दिया उन्हें तोहफा
वहीं सरकार ने नर्स दिवस पर प्रदेश की सभी नर्सेज के पदनाम परिवर्तन कर उन्हें सम्मान प्रदान किया है। इसके लिए सवाईमानसिंह अस्पताल के सुरेंद्र सिंह बांकावत ने प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त किया है। प्रदेश की समस्त नर्सेज को नर्स दिवस पर सरकार की ओर से पदनाम परिवर्तन कर सम्मानित किये जाने पर माननीय यशस्वी मुख्यमंत्री जी, माननीय चिकित्सा मन्त्री जी,माननीय चिकित्सा राज्य मंत्री जी एवं समस्त कैबिनेट राजस्थान सरकार का तहे दिल से धन्यवाद के साथ ही लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ प्रेस एंव ई मिडिया को भी हार्दिक आभार प्रेषित हैं कि नर्सेज को हुई इस प्राप्ति में आपका भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से पूर्ण सहयोग रहा हैं।
इससे पहले राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष श्याम सिंह और जिलाध्यक्ष बलदेव सिंह चैधरी ने प्रदेश सरकार से नर्स के पदनाम परिवर्तन को लेकर मांग की थी।