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नृसिंह जयंती आज, भक्त की रक्षा के लिए हिरण्यकश्यप का किया वध

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नई दिल्ली।

आज देश में भर में नृसिंह जयंती मनाई जा रही है। नृसिंह जयंती के दिन भगवान नृसिंह की पूजा अर्चना की जाती है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हर वर्ष नरसिंह जयंती मनाई जाती है। इस दिन वैष्णव संप्रदाय के लोग भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। नृसिंह जयंती पर वैष्ण संप्रदाय के लोग भगवान विष्णु की पूजा अर्चना रहे हैं। नरसिंह को विष्णु का अवतार माना गया है।

भक्त प्रहलाद था परम भक्त

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हर वर्ष नरसिंह जयंती मनाई जाती है। नरसिंह जयंती मनाने के पीछे एक कहानी है। कहा जाता है कि असुर राज हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानता था और अपनी प्रजा को स्वयं की पूजा करने के लिए प्रताड़ित करता था। उसका पुत्र प्रह्लाद विष्णु भक्त था। उसने कई यातनाएं झेलने के बाद भी भगवान विष्णु की आराधना नहीं छोड़ी। हिरण्यकश्यप को वरदान प्राप्त था कि उसे न तो मनुष्य और न ही पशु मार सकता है, न ही घर के अंदर और न ही घर के बाहर उसका मारा जा सकता है। न ही दिन में और न ही रात में उसका वध हो सकता है। न ही अस्त्र से मरेगा और न ही शस्त्र से। न ही आकाश में और न ही धरती पर उसको मारा जा सकता है।

आज मनाई जा रही नृसिंह जयंती

आज देश में भर में नृसिंह जयंती मनाई जा रही है। भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने दिन और रात के मध्य के समय में आधे मनुष्य और आधे सिंह का शरीर धारण कर नरसिंह अवतार लिया। वे खंभा फाड़कर नरसिंह अवतार में प्रकट हुए और हिरण्यकश्यप को घसीटकर मुख्य दरवाजे के बीच अपने पैर पर लिटा दिया। अपने शेर जैसे तेज नाखुनों से उसका पेट फाड़कर वध कर दिया। इस प्रकार से उन्होंने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की। उस दिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी। उस दिन से हर वर्ष इस तिथि को नरसिंह जयंती मनाई जाती है।

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