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दुखदः नहीं रहे ट्रेजडी किंग, दिलीप कुमार के निधन के साथ एक स्वर्णिम अध्याय का हुआ अंत

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Dilip Kumar Passed Away

The Angle
मुंबई।
बाॅलीवुड में ट्रेजडी किंग के नाम से मशहूर रहे दिलीप कुमार ने आज मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। दिलीप कुमार के निधन के साथ ही एक स्वर्णिम अध्याय का भी अंत हो गया। दिलीप कुमार काफी समय से बीमार चल रहे थे और बीते एक हफ्ते से अस्पताल में भर्ती थे। ट्रेजडी किंग के निधन से पूरी फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर छा गई। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिलीप कुमार की पत्नी सायरा बानो को फोन कर ढांढस बंधाया। दिलीप कुमार को आज शाम 5 बजे मुंबई में जूहू स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया जाएगा।

युसूफ खान ने दिलीप कुमार बनकर हासिल किया मुकाम

दिलीप कुमार का असली नाम युसूफ खान था जिनका जन्म 11 दिसंबर 1922 को पाकिस्तान में हुआ था। मुंबई आने के बाद उन्होने फिल्मी जगत में कदम रखा तो एक प्रोड्यूसर के कहने पर उन्होने अपना नाम बदलकर दिलीप कुमार रख लिया और इसी नाम के साथ उन्होने फिल्मी दुनिया में एक मुकाम हासिल किया। दिलीप कुमार ने अपने जमाने में एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दी है।

आधी उम्र की सायरा बानो पर आया दिल

वहीं बात करें दिलीप कुमार की लव स्टोरी की तो उन्होने अपने से आधी उम्र की सायरा बानो से 1966 में विवाह रचाया था। दिलीप और सायरा ने यह बता दिया था कि यदि प्यार में उम्र कभी बाधा नहीं होती है। दोनों को शादी के बाद कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा था लेकिन दोनों ने हर मुष्किल का मिलकर मुकाबला किया। ट्रेजडी किंग के लिए सायरा बानो का प्यार उनके अंतिम समय तक नजर आया।

इंडस्ट्री को दी एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्में

ट्रेजडी किंग ने अपने जमाने में कई बेहतरीन फिल्में की है। जो कि आज भी हिट है। फिल्मों में ज्यादातर दुखद भूमिका निभाने के कारण उन्हें बाॅलीवुड का ट्रेजडी किंग कहा जाने लगा। ट्रेजडी किंग की पहली फिल्म ज्वार भाटा थी जो कि 1944 में रिलीज हुई थी। वहीं फिल्म अंजाद की सफलता ने उन्हें प्रसिद्धि दिलाई। मुगले-ए-आजम में उन्होने मुगल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई। यह फिल्म पहले श्वेत और श्याम थी और 2004 में रंगीन बनाई गई।

उन्होने 1961 में गंगा जमुना फिल्म का निर्माण भी किया, जिसमे उनके साथ उनके छोटे भाई नासीर खान ने काम किया। 1970, 1980 और 1990 के दशक में उन्होने कम फिल्मो में काम किया। इस समय की उनकी प्रमुख फिल्मे थीः विधाता (1982), दुनिया (1984), कर्मा (1986), इज्जतदार (1990) और सौदागर (1991)। 1998 में बनी फिल्म किला उनकी आखरी फिल्म थी।

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