The Angle
जयपुर।
जून माह में पायलट खेमे के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी ने अपनी विधायकी से इस्तीफे की पेशकश करके प्रदेश के सियासी गलियारों में हलचल बढ़ा दी थी। ये बात और है कि उस समय विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने इस्तीफा ई-मेल से भेजे जाने के कारण विधायक से प्रत्यक्ष रूप से आकर मिलने की बात कही थी। बाद में विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मद्देनजर लॉकडाउन खुलने के 7 दिनों के अंदर वे विधानसभा अध्यक्ष से आकर मिलें। इस दौरान विधायक चौधरी से सीएम गहलोत ने भी फोन पर बात की, लेकिन ये मामला अभी तक किसी परिणाम तक नहीं पहुंच सकता है।
राजेंद्र राठौड़ ने इस्तीफा प्रकरण में विधानसभा सचिवालय को लिखा पत्र
वहीं सियासी जानकारों का कहना है कि इसी सियासी कलह को खत्म करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने विधायक हेमाराम चौधरी को विधानसभा की राजकीय उपक्रम समिति का सभापति भी नियुक्त कर दिया। लेकिन अभी तक भी चौधरी ने अपने समिति के सभापति की जिम्मेदारी नहीं संभाली है। इससे राजकीय उपक्रम समिति की बैठक नहीं हो पा रही है। इसे लेकर विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने विधानसभा सचिवालय को पत्र लिखा है।
हेमाराम चौधरी के इस्तीफा प्रकरण से प्रदेशभर में असमंजस के हालात- भाजपा नेता
राठौड़ ने इस चिट्ठी में लिखा कि राजकीय उपक्रम समिति की बैठक नहीं बुलाया जाना कार्य गतिरोध है। समिति के सभापति हेमाराम चौधरी कह चुके हैं कि वे अपने इस्तीफे पर अडिग हैं और जब तक उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं हो जाती तब तक वे अपना इस्तीफा वापस नहीं लेंगे और राजकीय उपक्रम समिति की बैठक भी नहीं बुलाएंगे। राजस्थान में लॉकडाउन पूरी तरह समाप्ति की ओर है। ऐसे में हेमाराम चौधरी के इस्तीफा प्रकरण से प्रदेशभर में असमंजस पैदा हो गया है। सदन के नेता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी हेमाराम चौधरी से फोन पर बात कर चुके हैं, लेकिन हेमाराम चौधरी भी स्पष्ट कर चुके हैं कि उनका राजकीय उपक्रम समिति से कोई लेना-देना नहीं है। उनके इस रवैये का नकारात्मक प्रभाव अब राजकीय उपक्रम समिति के कार्यों पर पड़ रहा है।
हेमाराम चौधरी के इस्तीफे पर जल्द फैसला लें विधानसभा अध्यक्ष- राठौड़
राठौड़ ने कहा कि जब किसी सदस्य की सभापति बनने की इच्छा ही नहीं, तो उन्हें उनकी सहमति के विपरीत राजकीय उपक्रम समिति जैसी महत्वपूर्ण समिति का सभापति क्यों बनाया गया। विधानसभा की सदस्यता से भेजे गए इस्तीफे को विधानसभा अध्यक्ष या तो स्वीकार करें या अस्वीकार, ताकि विधानसभा की अत्यंत महत्वपूर्ण बैठक हो सके।
भाजपा को रास नहीं आ रहा हेमाराम का इस्तीफा मामला यूं ठंडा पड़ना !
राठौड़ की इस चिट्ठी के बाद से कयास लगाए जाने लगे हैं कि जिस सूझबूझ से सीएम गहलोत ने विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे मामले को शांत किया हुआ है, वो भाजपा को रास नहीं आ रहा है। यही वजह है कि विधानसभा अध्यक्ष विधायक चौधरी के इस्तीफे पर कोई फैसला लें। इससे अगर उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जाता है, तो सरकार पर उनकी मांगें मानने के लिए दबाव बढ़ेगा और अगर इस्तीफा स्वीकार हो जाता है, तो पायलट खेमा फिर से कोई बड़ा सियासी कदम उठा सकता है।