The Angle
मुम्बई।
हर साल की तिमाही में हर भारतीय को एक उम्मीद होती है कि अगर आरबीआई अपनी दरों में कटौती करती है, तो उनका लोन लेना आसान हो जाएगा। इससे वे अपने घर, निजी वाहन सहित कई ऐसी इच्छाओं को पूरा कर सकेंगे, जो महंगी लोन दरों की वजह से काफी समय से अटकी हुई हैं। लेकिन साल की आखिरी तिमाही में ऐसे सभी लोगों की उम्मीदों को भारतीय रिजर्व बैंक ने झटका दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने उम्मीद के मुताबिक प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं करते हुए उसे 4 फीसदी पर बरकरार रखा है। इसके साथ ही आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट की दरों में भी कोई बदलाव नहीं किया है।
आरबीआई ने ओमिक्रॉन पर जताई चिंता, लगातार 9वीं बार रेपो रेट में नहीं किया बदलाव
वहीं केंद्रीय बैंक ने कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमिक्रॉन को लेकर चिंता के बीच मौद्रिक नीति के मामले में जब तक जरूरी हो, उदार रुख बनाए रखने का फैसला किया है। यानि फिलहाल नीतिगत दर में वृद्धि की संभावना नहीं है। बता दें यह लगातार नौवीं बार है, जब केंद्रीय बैंक ने रेपो दर के मामले में यथास्थिति को बरकरार रखा है।
आरबीआई गवर्नर ने बताया- 2021-22 के लिए 9.5 फीसदी रहेगी जीडीपी वृद्धि दर
वहीं आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी बताया कि रिवर्स रेपो दर को भी 3.35 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में किए गए फैसलों की जानकारी देते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि एमपीसी ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर लक्ष्य को 9.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
एमपीसी को मिली है मुद्रास्फीति 4 फीसदी पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी
उन्होंने कहा कि इसके अलावा 2021-22 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.3 प्रतिशत पर कायम रखा गया है। एमपीसी को 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति चार प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी दी गई है।