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पीके जल्द बनाएंगे अपनी पार्टी । क्या दे पाएंगे बीजेपी और कांग्रेस को पीके टक्कर !

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प्रशांत किशोर (राजनीतिक सलाहकार )

पीके मतलब प्रशांत किशोर भाजपा ,कांग्रेस और जेडीयू समेत अलग अलग पार्टियों के चुनावी रणनीतिकार रह चुके है .इन पार्टियों में अपनी चुनावी रणनीति के बलबूते प्रशांत किशोर ने अपनी पहचान और अपनी डिमांड बढ़ाई है .वही अब प्रशांत किशोर अब दूसरों के लिए रणनीति नहीं बनाएंगे.अब प्रशांत किशोर अपनी पार्टी के लिए ही रणनीति बनाएंगे और आगामी चुनावों में हो सकता है पूरे दमखम के साथ ही वो मैदान में उतरे.और पीके ने इस तरफ इशारा भी कर दिया है .उन्होनें आज यह इशारा ट्वीट मे माध्यम से किया.

पीके का ट्वीट

प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर अपने नए अभियान का एलान किया।  उन्होंने लिखा, ‘लोकतंत्र का एक सार्थक भागीदार बनने और जन-समर्थक नीतियों को आकार देने में मदद करने की मेरी खोज ने बीते 10 सालों में उतार-चढ़ाव देखे हैं। अब मैं नया पन्ना पलटने जा रहा हूं। अब मुद्दों और जन सुराज के मार्ग को बेहतर ढंग से समझने के लिए ‘रियल मास्टर्स’ यानी जनता के पास जाने का समय आ गया है, शुरुआत बिहार से होगी।’

पीके की पार्टी जल्द ही पूरे देश में होगी लॉन्च

पीके की पार्टी कब लॉन्च होगी इसका अभी तक कोई अंदेशा नहीं है .लेकिन जानकारी के मुताबिक पीके जल्द ही पूरे देश में एक साथ अपनी पार्टी को लॉन्च कर सकते है .और सबसे बड़ी बात ये है कि प्रशांत किशोर अभी फिलहाल बिहार में ही है .और यही से अपनी नई रणनीति तैयार कर रहे है .

पीके करेंगे अपनी तकनीक का इस्तेमाल

दरअसल प्रशांत किशोर ने हाल ही में कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी.और अपने सुझावों और अपनी शर्तों के साथ वो कांग्रेस में आना चाह रहे थे .लेकिन कांग्रेस से उनकी बात नहीं बनी जिसके चलते अब पीके ने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर ही राजनीति में बड़ा धमाल करने की तैयारी कर ली है .जानकारी के मुताबिक प्रशांत किशोर की पार्टी पूरी तरह आधुनिक होगी और डिजिटल होगी और जनसंपर्क करने के लिए नए उन्नत तकनीक के साथ लॉन्च होगी.


मोदी को सत्ता में लेकर आए थे पीके

बेहतरीन रणनीतिक कार के रुप में पहचान बनाने वाले पीके का जन्म बक्सर जिले में हुआ था.उनकी मां उत्तरप्रदेश के बलिया जिले की है .वही उनके राजनीतिक करियर की बात करें तो वो वे 2014 में मोदी सरकार को सत्ता में लाने की वजह से चर्चा में आए थे.उन्हें एक बेहतरीन चुनावी रणनीतिकार के तौर पर जाना जाता है .। हमेशा से वह पर्दे के पीछे रहकर अपनी चुनावी रणनीति को अंजाम देते आए हैं।

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