The Angle
जयपुर।
हाल ही में राजस्थान से होकर गुजरी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में वायनाड से लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने कहा था कि आज कांग्रेस का जनता से जुड़ाव कम हो गया है, जो कि कभी कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत हुआ करती थी। हालांकि इसके राहुल गांधी ने कई संभावित कारण भी गिनाए थे। अब राहुल गांधी की इस बात का राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी समर्थन किया है।
जनता के बीच जाकर उनके सुख-दुःख में भागीदार बनने की हो कोशिश- गहलोत
कांग्रेस के 138वें स्थापना दिवस के मौके पर जयपुर स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित झंडारोहण कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री यहां मीडिया से रूबरू हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने बहुत मार्मिक बात कही है कि जनता से जुड़ाव करो, मतलब जुड़ाव में कुछ कमी आई है, धीरे-धीरे आ ही जाती है। हमें जनता से जुड़ने का मौका मिला है। हम जनता के बीच जाएं और उनके सुख-दुःख में भागीदार बनें। उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी की यात्रा के बाद नए प्रोग्राम दिए हैं, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं को हर 15 दिन या महीनेभर में किसी एक दिन कम से कम 15 किलोमीटर पैदल चलकर जनता की परेशानियां दूर करने पर काम करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
सीएम गहलोत बोले- नीति-सिद्धांतों के आधार पर जारी रहेगी बीजेपी-आरएसएस के खिलाफ लड़ाई
सीएम गहलोत ने कहा कि लंबा सफ़र तय करते-करते कांग्रेस यहां तक पहुंची है। आज भी कांग्रेस अपनी नीतियों, सिद्धांतों पर अडिग है। राहुल गांधी ने भी कहा है कि बीजेपी आरएसएस के खिलाफ हमारी लड़ाई नीति सिद्धांतों की है। आरएसएस-बीजेपी के खिलाफ हमारी लड़ाई नीति-सिद्धांतों के आधार पर जारी रहेगी। संविधान की रक्षा करने में हम सक्षम हैं। गहलोत ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा- आज लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। ये जो लोकतंत्र की जड़ें कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं, ये कामयाब नहीं हो पाएंगे। पूरी कांग्रेस एकजुट होकर मुकाबला करेगी। वहीं गहलोत ने इस बात पर भी जोर दिया कि मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में करीब 50 साल बाद कांग्रेस की कमान किसी दलित नेता के हाथ में है।
खुले अधिवेशन नेताओं-पदाधिकारियों से लिए जा रहे बजट संबंधी सुझाव
बता दें पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर जयपुर के बिरला ऑडिटोरियम में बजट पर सुझाव देने के लिए कांग्रेस नेताओं का एक दिवसीय खुला अधिवेशन रखा गया है। इसमें पीसीसी मेंबर, एआईसीसी मेंबर, विधायकों, विधायक और सांसद का चुनाव हार चुके उम्मीदवारों के साथ पूर्व और मोजूदा जिलाध्यक्षों, बोर्ड निगमों के अध्यक्ष, उपाध्यक्षों को बुलाया गया है। इसमें चुनिंदा नेताओं से सुझाव लिए जा रहे हैं, ताकि सरकार जनता से किए सुशासन के वादे को निभा सके और 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दमदार तरीके से सरकार रिपीट करवा सके।