अगर भारत ने अपनी जनसंख्या वृद्धि को नहीं थामा तो आने वाले समय देश के लिए बहुत कठिन होगा। भारत की जनसंख्या साल 2010 से 2019 के बीच में हर साल 1.2 फीसदी बढ़ी है। जबकि इस अवधि में वैश्विक औसत 1.1 फीसदी रहा। भारत का आंकड़ा चीन से दोगुना अधिक है। इस समय के दौरान चीन में हर साल जनसंख्या में 0.5 फीसदी की वृद्धि हुई है। ये आंकड़े संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की स्टेट ऑफ वल्र्ड पॉपुलेशन 2018 रिपोर्ट पर आधारित हैं। ये रिपोर्ट बुधवार को जारी की गई है। विश्व की जनसंख्या 2019 में बढ़कर 771.5 करोड़ हो गई है, जो पिछले साल 763.3 करोड़ थी। वहीं औसत जीवन प्रत्याशा दर 72 साल है। अल्प विकसित देशों में जनसंख्या में काफी वृद्धि हुई है। अफ्रीकी देशों में ये आंकड़ा हर साल 2.7 फीसदी रहा है। यूएनएफपीए को स्थापित हुए पचास साल हो गए हैं। इसकी स्थापना प्रजनन स्तर नीचे लाने के लिए देशों का समर्थन करने के उद्देश्य से हुई थी। ये अनुमान है कि 2050 तक वैश्विक जनसंख्या में सबसे अधिक वृद्धि अफ्रीकी देशों और अधिक जनसंख्या वाले देशों जैसे भारत और नाइजीरिया में होगी। भारत की 24 राज्यों में रहने वाली करीब आधी जनसंख्या में प्रति महिला 2.1 प्रजनन दर है। लेकिन माना जा रहा है कि ये अच्छा संकेत नहीं है। आने वाले समय में जनसंख्या में इजाफा ही होना है।