The Angle
केपटाउन।
रंगभेद और छूआछूत भारत में आज भी मौजूद है। सरकार चाहे तमाम कोशिशें करती रहे लेकिन इस सबके बावजूद समाज में इस कुरीति की जडें अब भी बनी हुई हैं। यह स्थिति सिर्फ भारत में ही नहीं है, बल्कि विश्व के कई अन्य देशों में भी इस तरह का भेदभाव देखा जा सकता है। ऐसा ही एक मामला खेल जगत से भी सामने आया है।
बावुमा ने इंग्लैंड के खिलाफ खेली थी मैच जिताऊ पारी
दरअसलल इंग्लैंड के खिलाफ पहले वनडे में मैच जिताऊ पारी खेलने वाले दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज टेम्बा बावुमा ने स्वीकार किया है, कि उनको कई बार उनकी त्चचा के रंग हिसाब से भेदभाव का सामना करना पड़ा है। उनका कहना है कि इससे उनका करियर भी प्रभावित हुआ है। दक्षिण अफ्रीका ने यहां न्यूलैंड्स मैदान पर मंगलवार को खेले गए पहले वनडे मैच में विश्व चैम्पियन इंग्लैंड को 7 विकेट से हरा दिया। इस मैच में बावुमा ने 98 रनों की मैच जिताऊ पारी खेली थी।
बावुमा बोले, ‘मैंने अपने प्रदर्शन के दम पर टीम को आगे बढ़ाया’
क्रिकइंफो ने बावुमा के हवाले से कहा, ‘यह काफी मुश्किल है। यह बाहर जाने को लेकर नहीं है। सभी खिलाड़ी कभी न कभी टीम से बाहर होते हैं। हर खिलाड़ी उस दौरे से गुजरते हैं, जहां वे रन नहीं बनाते हैं। लेकिन मेरे लिए परेशानी तब होती है, जब वे ट्रांसफॉर्मेशन (परिवर्तन) की बात करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हां, मैं अश्वेत हूं और यह मेरे त्वचा का रंग है। लेकिन मैं क्रिकेट खेलता हूं, क्योंकि यह मुझे पसंद है। मैं टीम में हूं क्योंकि मैंने अपने प्रदर्शन के दम पर अपनी टीम को आगे बढ़ाया है।’
दक्षिण अफ्रीका की टीम में अश्वेत खिलाड़ियों के लिए आरक्षित हैं 2 स्थान
बता दें दक्षिण अफ्रीका के नियमों के अनुसार टीम में 6 खिलाड़ियों का चयन उनकी त्वचा के रंग के आधार पर किया जाता है। टीम में 2 स्थान अश्वेत खिलाड़िओं के लिए आरक्षित हैं। इसी आधार पर बावुमा को भी टीम में जगह दी जाती है। बावुमा ने पाया कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर उनके बारे में बात कर रहे हैं, कि वे केवल दक्षिण अफ्रीका की नीतियों का हिस्सा थे। 29 साल के बावुमा ने हालांकि इस तर्क को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘एक चीज जो मुझे परेशान करती है, वह यह है कि लोग आपको परिवर्तन की नजर से देखते हैं।’
‘खराब प्रदर्शन करने पर परिवर्तन करने के एजेंडे को कर लिया जाता है शामिल’
बावुमा ने कहा, ‘जब आप अच्छा करते हैं, तो परिवर्तन के बारे में बात नहीं की जाती है। …लेकिन जब आप खराब करते हैं तो आपको परिवर्तन के एजेंडे में शामिल कर लिया जाता है। मुझे इससे काफी समस्या है। हम अच्छे को बुरे के साथ लेने के आदी हो गए हैं। अगर अश्वेत खिलाड़ी अच्छा नहीं कर रहे होते हैं, तो परिवर्तन सही नहीं है, लेकिन जब वे अच्छा करते हैं तो यह ठीक है।’