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मुख्यमंत्री गहलोत के लॉकडाउन की सराहना, अब पूरे देश में किया गया लागू

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द एंगल।

जयपुर।

कोरोना वायरस के लगातार प्रकोप के चलते अब राजस्थान की तर्ज पर अब पूरे देश में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं इस लॉकडाउन के ज़रिए कोरोना से बचाव कैसे संभव है और यह क्यों जरूरी है?

मुख्यमंत्री ने बेकाबू होने से पहले ही भांपी कोरोना की गंभीरता

सूबे के मुखिया अशोक गहलोत ने कोरोना वायरस की गंभीरता को बेकाबू होने से पहले ही भांपते हुए राजस्थान में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया था। इस दौरान सभी लोगों घरों में ही रहने को कहा गया था। केवल अतिआवश्यक कार्यों से ही लोगों को घरों से बाहर निकलने की अनुमति दी गई थी। इस तरह से लोग एक तरह से अपने ही घरों में कैद होकर रह गए थे।

लॉकडाउन के ज़रिए सोशल डिस्टेंसिंग को मिला बढ़ावा

लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से यह कदम इसलिए उठाया गया, ताकि कोरोना वायरस के प्रसार को रोका जा सके। क्योंकि अगर कोई कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति कहीं भी आता जाता है या किसी से भी मिलता-जुलता है, तो वह उन लोगों को भी संक्रमित कर देता है। इस तरह लॉकडाउन के ज़रिए मुख्यमंत्री गहलोत ने सोशल डिस्टेंसिंग को बढ़ावा देने का प्रयास किया।

राजस्थान की तर्ज पर अब पूरे देश में लागू किया गया लॉकडाउन

मुख्यमंत्री गहलोत के प्रदेश में लागू किए गए इस कदम की अहमियत इस बात से भी समझी जा सकती है, कि राजस्थान में सफल रहने के बाद अन्य राज्यों ने भी इसका अनुसरण किया गया और अब अंततः पूरे देश में इसे लागू कर दिया गया है।

आवश्यक सेवाएं बाधित न हों, इसका रखा ध्यान

इस लॉकडाउन की खासियत यह भी रही कि भले ही इस दौरान लोगों को घरों से बाहर न निकलने की सख़्त हिदायत दी गई थी, लेकिन सब्जी, दूध, किराना, चिकित्सा, अग्निशमन जैसी कई अन्य आवश्यक सेवाओं को इस दायरे से बाहर रखा गया था। इसके साथ ही राज्य सरकार की ओर से इस बात को भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि लॉकडाउन के चलते प्रदेश में कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए। इसके लिए सरकार सूखे राशन के अलावा विभिन्न धार्मिक संगठनों और एनजीओ के माध्यम से लोगों को पका हुआ भोजन भी उपलब्ध करवा रही है।

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