सरदारशहर उपचुनाव की रणभेरी बज चुकी है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने दम खम से मैदान में है. सरदारशहर चुनाव को लेकर बीजेपी दावे बहुत कर रही है , लेकिन सच्चाई ये भी है कि बीजेपी के लिए सरदारशहर की जंग आसान नही है.पार्टी में लगातार खींचतान की स्थिति बनी हुई है जो इन चुनावों में भी देखने को मिल रही है
बीजेपी में खींचतान अभी भी जारी
बीजेपी हमेशा बाहरी तौर पर खुद एकजुट दिखाने की कोशिश करती है.लेकिन अंदर की स्थिति तो कुछ और ही है.पार्टी के अंदर की खींचतान का अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है वसुंधरा खेमा प्रचार से दूर है .आपको बता दे मतदान में एक सप्ताह का समय बचा है ,लेकिन ना तो वसुंधरा राजे यहा प्रचार करने उतरी है ना ही वसुंधरा गुट के नेता.
बीजेपी के स्टार प्रचारकों में है राजे का नाम
भाजपा ने जो स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की है उसमें वसुंधरा राजे का नाम भी है .जिनको अशोक पिंचा के समर्थन में चुनाव प्रचार करना है .लेकिन स्थिति तो कुछ और ही दिख रही है . पार्टी की ओर जारी सूची में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे शुरुआती उन नेताओं में शामिल किया है जो चुनाव की कमान संभालेंगे , लेकिन राजे इस चुनाव से पूरी तरह दूर हैं. राजे ही नहीं बल्कि उनके खेमे के माने जाने वाले नेता भी गायब हैं.
गुजरात चुनाव भी है बड़ा कारण
दरअसल स्टार प्रचार ज्यादा वक्त तो गुजरात में गुजार रहे है .वहां कि तमाम विधानसभाओं में प्रचार कर रहे है .लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि उनमें राजे शामिल नहीं है .वो ना तो गुजरात चुनाव प्रचार प्रसार में दिख रही है और ना ही राजस्थान में कही.अब इसको देखकर तो यही लगता है कि राजे भी हर कदम पर तमाम चाल चल रही है और सतीश पूनिया की परीक्षा ले रही है
राजे की रणनीति पूनिया के विरोध में
वसुंधरा राजे का चुनाव प्रचार में शामिल नहीं होना एक वजह यह भी है.दरअसल पूनिया के नेतृत्व में पार्टी अभी पिछले उपचुनाव में खास कमाल नहीं कर सकी और राजे यही चाहती है कि पूनिया इस उपचुनाव में खुद के दम पर कमाल कर पाते है या नही और इस उपचुनाव के परिणाम का केंद्रीय नेतृत्व को भी संदेश जाएगा.कि पूनिया इस उपचुनाव में कितने खरे उतरे.हो सकता है राजे कि यह रणनीति कारगर साबित हो और वो अहसास दिलाने में सफल हो जाए कि राजस्थान में उनका सिक्का अभी भी चलता है