दा एंगल।
नई दिल्ली।
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में देश में रोजगार के भी लाले पड़ रहे। लोगों को पहले ही रोजगार नहीं मिल पा रहा हैं जो भी है वो भी छीने जा रहे हैं। चारों तरफ आर्थिक मंदी छाई हुई। नई उद्योग धंधे लग नहीं रहे हैं जो भी है वह भी मंदी के चलते बंद हो रहे हैं। आर्थिक मंदी के चलते रोजगार में वृद्धि होने की दूर-दूर तक कोई किरण नहीं दिख रही है।
रोजगार बाजार में रहेगी सुस्ती
आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट के बीच 2019 में रोजगार बाजार में सुस्ती रही और अगले साल भी स्थिति में सुधार की उम्मीद नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले साल भी रोजगार बाजार में श्रमबल विस्तार सुस्त रहेगा और साथ ही वेतनवृद्धि भी खास नहीं होगी। इसकी वजह यह है कि कंपनियां नई नियुक्तियां करने के बजाय मौजूदा कर्मचारियों का कौशल सुधारने पर अधिक ध्यान दे रही हैं।
नियुक्ति को लेकर सतर्कता
प्रौद्योगिकी आधारित बदलाव लगातार जारी हैं ऐसे में कंपनियां नई नियुक्तियों को लेकर सतर्कता बरत रही हैं। इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन की अध्यक्ष कहा कहना है कि रोजगार की दृष्टि से 2020 स्थिर रहेगा या उसमें मामूली सुधार होगा। सकल घरेलू उत्पाद और अन्य महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतक अभी रफ्तार पकड़ नहीं पाए हैं। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि उपभोग और निवेश में बढ़त होती है या नहीं। यदि बढ़त होती है तो हम रोजगार में भी वृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं।
उद्योगों की संख्या हुई कम
यदि उद्योगों की बात की जाए, जिन संगठनों में रोजगार बढ़ा है उनकी संख्या कम हुई है। विशेषज्ञों का कहना है, बाजार में सही लोगों की जरूरत बनी हुई है। एग्जिक्यूटिव खोज कंपनी ग्लोबलहंट इंडिया के प्रबंध निदेशक ने कहा, ‘2020 की शुरुआती तिमाही अधिक रोमांचक नहीं रहेगी, क्योंकि जीडीपी की दर नीचे आई है और कंपनियां विस्तार को लेकर सतर्कता बरत रही हैं।’ हालांकि, 2020 की दूसरी छमाही रोजगार के अवसरों की दृष्टि से बेहतर रहेगी, क्योंकि कंपनियां नए सिरे से कारोबार विस्तार पर ध्यान केंद्रित करेंगी। मर्सर की प्रिंसिपल-इंडिया प्रोडक्ट लीडर एंड करियर-कंसल्टिंग लीडर का कहना है कि नियुक्तियों की दृष्टि से 2020 के लिए हमारा अनुमान है कि इसमें और कमी आएगी। उन्होंने कहा कि प्रतिशत में कम ही कंपनियों को अपने कार्यबल का विस्तार करने की जरूरत होगी।’