The Angle
जयपुर।
जयपुर जिला प्रमुख के भाजपा के पक्ष के परिणाम डॉ. सतीश पूनिया के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए संजीवनी साबित हुए हैं। इसके बाद अब अगले महीने अक्टूबर के अंतिम दिनों में पूनिया समर्थक इनके कार्यकाल के दो वर्ष पूरे होने पर अभी से प्रदेशभर में बड़ा जश्न मनाने की तैयारी कर रहे हैं। जयपुर सहित विभिन्न जिलों में टीम वसुंधरा राजे के कार्यालय खुल जाने के बाद अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया समर्थकों के भी एक्टिव होने की खबरें चर्चा चर्चा में हैं। पूनिया समर्थकों ने भी वाट्सएप ग्रुप और फेसबुक और सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर अपनी सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है। माना जा रहा है इनका यह अभियान अक्टूबर में कार्यकाल के दो वर्ष पूरे होने के दिन तक विशेष रूप से चलेगा।
ओम माथुर ने आगामी विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेशाध्यक्ष बदले जाने के दिए थे संकेत
संगठनात्मक फूट और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गुट से कथित अदावत की दोहरी चुनौती से जूझ रहे सतीश पूनिया के प्रदेश अध्यक्ष के पद को लेकर सियासी गलियारों में चली आ रही अटकलों को इससे एकबारगी विराम लग गया है। पंचायत चुनाव के दौर में भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम प्रकाश माथुर के एक ताजा बयान से भाजपा की अंदरूनी राजनीति गरमा गई थी। माथुर ने प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव तक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद पर बदलाव के संकेत दिए थे। इस बयान के बाद भी पूनिया के लिए पंचायत चुनाव खास कर जयपुर में जिला परिषद प्रमुख पर भाजपा को जिताना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था। ऐसे में जोड़-तोड़ की राजनीति और सेंधमारी के सहारे आखिरकार भाजपा इसमें सफल रही।
सेंधमारी और जोड़-तोड़ के लिए भाजपा ने बनाई थी टीम
इस बार पंचायत चुनाव में भाजपा ने चुनाव से पहले प्रत्याशी चयन, प्रचार और मतदान के दौरान बूथों पर व्यवस्था संभालने को लेकर कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी। इसके साथ ही चुनाव परिणामों के बाद जोड़-तोड़ की नौबत आने की स्थिति में प्रतिद्वंद्वी पार्टी में सेंधमारी के लिए भी अपने रणनीतिकारों की भूमिका तय की। इन रणनीतिकारों ने बाकायदा टीम वर्क के रूप में परिणामों के बाद कांग्रेस की मजबूत स्थिति होने के बावजूद भी प्रतिद्वंद्वी पार्टी के विजयी जिला परिषद सदस्यों के कैंप में सेंधमारी कर दो सदस्यों को एप्रोच किया और इनकी बगावत के बलबूते जिला परिषद में भाजपा के प्रमुख का कब्जा हो सका।
सतीश पूनिया ने कांग्रेस के असंतुष्ट धड़े के सहयोग से बचाई लाज
जिला परिषद जयपुर के परिणामों में कांग्रेस से पिछडऩे के बावजूद भाजपा ने अपनी खराब परफॉरमेंस की परवाह किए बिना प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस पार्टी के असंतुष्ट धड़े के करीबी समझे जाने वाले विजयी प्रत्याशियों को साधना शुरू किया। महज दो दिन की कसरत में भाजपा के रणनीतिकारों ने जोड़-तोड़ की राजनीति को एक चुनौती के रूप में लेते हुए जिला प्रमुख के रूप में कांग्रेस की ही एक बागी विजयी प्रत्याशी को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। इस तरह जयपुर जिला परिषद के प्रमुख के पद पर भाजपा की प्रमुख काबिज हुई।