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महिला सुरक्षा को लेकर सीएम सख्त, अन्य राज्यों से भी की राजस्थान की पहल को अपनाने की अपील

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महिला एवं बाल सुरक्षा और सशक्तिकरण विषय पर आयोजित हुई वेबिनार को संबोधित करते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

द एंगल।

जयपुर।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) प्रदेश में महिलाओं और बालिकाओं के साथ होने वाले अपराध और दुराचार के मामलों को लेकर सख्त हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि दुष्कर्म के मामलों में अब थानागाजी मामले में की गई कार्रवाई को मॉडल के रूप में लेते हुए कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि पीड़ित पक्ष को समय पर न्याय मिल सके। महिला, बाल सुरक्षा और सशक्तिकरण को लेकर सीएमआर में हुई वेबिनार को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि थानागाजी रेप मामले में चार आरोपियों को सजा हो चुकी है। उन पर जुर्माना भी लगाया गया। हमें रेप की घटनाओं पर थानागाजी मॉडल पर ही काम करना होगा ताकि पीड़ित को जल्द न्याय मिल सके।

पीएम मोदी को जल्द ही पत्र लिखेंगे सीएम गहलोत

मुख्यमंत्री Gehlot ने थाने में आने वाले हर पीड़ित की अनिवार्य रूप से एफआईआर दर्ज करने के मॉडल को प्रदेश में लागू करने के बाद अब पूरे देशभर में लागू करने की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि वे जल्द पीएम मोदी को इस संबंध में पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग करेंगे। उन्होंने पीएम मोदी से राजस्थान की तर्ज पर देश के अन्य राज्यों में भी थानों में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य करने की एडवाइजरी जारी करने का आग्रह किया।

गृहमंत्री अमित शाह को मुख्यमंत्री ने लिखा पत्र

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम राष्ट्रीय स्तर की एक सेमिनार करेंगे, जिसमें राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों को शामिल कर राजस्थान मॉडल को अपनाने के लिए माहौल बनाया जाएगा। सीएम गहलोत ने कहा कि मैंने गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है और अपील की है कि सभी राज्य आंकड़ों से परे जाकर निर्बाध रूप से एफआईआर दर्ज करें। मेरी भावना रहेगी हर राज्य में राजस्थान कर प्रयोग लागू हो, आंकड़े कम रखने के चक्कर में अन्याय नहीं हो।

Gehlot बोले- थानों में पुलिस का व्यवहार बदलने का वक्त

सीएम गहलोत ने डीजीपी को कांस्टेबल से लेकर थाने में तैनात हर पुलिसकर्मी का फरियादी के साथ व्यवहार सुधारने की नसीहत दी। सीएम ने कहा कि व्यक्ति इस वजह से थाने में जाने से डरते हैं, क्योंकि वहां अपमान होगा, खराब व्यवहार होगा। लेकिन अब वक्त आ गया है कि थानों में व्यवहार बदला जाए। पुलिस का व्यवहार बदलने के लिए स्वागत कक्ष बनाने की शुरुआत की गई है। सीएम Gehlot ने एनसीआरबी के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि मुकदमों की संख्या बढ़ने का मतलब अपराध बढ़ना नहीं है। राज्यों के बीच केवल आंकड़ों से तुलना करने से बचना चाहिए, अपराध में वृद्धि और अपराध पंजीकरण में वृद्धि में अंतर है। कुछ लोग दोनों को एक मानने की गलती करते हैं।

लंबित मामलों का आंकड़ा राष्ट्रीय औसत के मुकाबले बेहद कम-गहलोत

सीएम Gehlot ने कहा कि दुष्कर्म के मामलों में कई बार गलत शिकायतें भी आती हैं। 2019 में दुष्कर्म के 44 फीसदी मुकदमे गलत पाए गए। यह अपनी जगह है लेकिन महिला सुरक्षा के लिए कदम उठाने होंगे। पहले रेप के मामलों की जांच में 287 दिन लगते थे, वह अब घटकर 113 दिन पर आ गया है। वहीं लंबित मामलों का राष्ट्रीय आंकड़ा 34 फीसदी है, जबकि राजस्थान में यह आंकड़ा घटकर 9 फीसदी पर आ चुका है।

स्व. इंदिरा गांधी के पीएम बनने से हुई महिला सशक्तिकरण की शुरुआत- सीएम

Gehlot ने दुःख जताते हुए कहा कि आज भी रोजाना अखबार खोलते हैं तो उसमें देश में कहीं न कहीं महिलाओं के साथ दुराचार की खबर मिल ही जाती है। 21वीं सदी में आने के बाद भी ये स्थिति बनी हुई है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि देश में इंदिरा गांधी जब 1966 में देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी थीं, तभी महिला सशक्तिकरण की शुरुआत हो गई थी। उस वक्त एक महिला का पीएम बनना बड़ी बात थी। वहीं स्व. राजीव गांधी ने पंचायतों और शहरी निकायों में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आरक्षण दिया। उस वक्त पाकिस्तान के एक अर्थशास्त्री ने लेख लिखा था कि यह संविधान संशोधन दूरगामी परिणाम वाला होगा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी संसद और विधानसभाओं में 33 फीसदी महिला आरक्षण के लिए लगातार वकालत कर रही हैं।

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