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‘वर्ल्ड विदाउट वेस्ट’ के विजन को साकार कर रहा है कोका कोला इंडिया

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कोका-कोला लोगो

The Angle

बिजनेस डेस्क।

कोका-कोला इंडिया ने अपशिष्ट प्रबंधन की अपनी एक प्रमुख सस्टेनेबिलिटी प्राथमिकता को लेकर अपनी प्रतिबद्धता एकबार फिर मजबूत की है। भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों और संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों के बीच सामंजस्य काम करते हुए कंपनी की वैश्विक पहल ‘वर्ल्ड विदाउट वेस्ट’ ने देश में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इसका लक्ष्य रीसाइकिल्ड प्लास्टिक अर्थव्यवस्था निर्मित करना है। 2030 तक दुनिया को प्लास्टिक कूड़े से मुक्त बनाने की अपनी प्रतिबद्धता की दिशा में बढ़ते हुए कोका-कोला ने वर्ल्ड विदाउट वेस्ट (WWW) के तीन प्रमुख रणनीतिक स्तंभों- डिजाइन, कलैक्ट और पार्टनर के मामले में भारत में महत्वपूर्ण काम किया है।

प्लास्टिक रीसाइकिल्ड इकोनॉमी तैयार करने के लिए कंपनी की पहल

पुराने ढर्रे पर लगाम लगाते हुए कोका-कोला रीसाइकिल्ड अर्थव्यवस्था तैयार करने के लिए अपशिष्ट इकट्‌ठा करने वालों से लेकर रिसाइकलर्स तक, प्लास्टिक रिसाइक्लिंग मूल्य श्रृंखला के प्रत्येक हिस्से के साथ जुड़ने का इरादा रखती है। बीते बरसों में, कंपनी ने अपशिष्ट संग्रह और रिसाइक्लिंग पर फोकस रखते हुए कई रणनीतिक बहु-हितधारक साझेदारियां शुरू की हैं।

कोका कोला ने प्लास्टिक कचरा प्रबंधन के लिए शुरू किया प्रोजेक्ट पृथ्वी

हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेस प्राइवेट लिमिटेड (HCCBPL) ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के साथ साझेदारी में शुरू से लेकर अंतिम सिरे तक प्लास्टिक कचरा प्रबंधन वाले प्रोजेक्ट पृथ्वी की शुरुआत की है। इस प्रोजेक्ट पर कंपनी देश के 50 शहरों में काम कर रही है। इसके अलावा, करो संभव – क्लोजिंग मटेरियल लूप्स के लिए पैकेजिंग एसोसिएशन फॉर क्लीन एनवायरनमेंट (PACE) के साथ साझेदारी में कोका-कोला इंडिया का लक्ष्य एक ऐसी व्यवस्था विकसित करना है, जो समावेशन, आचार संहिता, पारदर्शिता, सुशासन और अपशिष्ट की ट्रेसेबिलिटी मुमकिन बनाती है।

वर्ल्ड विदाउट वेस्ट के जरिए अभिनव पैकेजिंग समाधान पेश कर रही कंपनी

कंपनी पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझते हुए लगातार हल्के पैकेजिंग की रीडिजाइनिंग पर काम कर रही है और अपनी ‘वर्ल्ड विदाउट वेस्ट’ पहल के माध्यम से विश्व स्तर पर अभिनव पैकेजिंग समाधान पेश कर रही है। कोका-कोला में, दुनिया को रिफ्रेश करने और एक फर्क पैदा करने के हमारी कंपनी के उद्देश्य ने पसंदीदा ब्रांड्स तैयार करने और संवहनीय ढंग से व्यवसाय करने में हमारा बेहतरीन मार्गदर्शन किया है। हम अपने सभी प्रयासों में अपने उपभोक्ताओं के साथ पारदर्शी होने की कोशिश करते हैं। हम प्लास्टिक से जुड़ी वैश्विक चिंताओं और मुद्दों के समाधान के लिए लगातार नए अविष्कार और बदलाव करते रहेंगे।

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन और कुशल रीसाइकलिंग को दिया जा रहा बढ़ावा

देश को कूड़ा-मुक्त बनाने के सपने के करीब पहुंचते हुए कोका-कोला इंडिया चक्रीय प्लास्टिक अर्थव्यवस्था निर्मित करने का प्रयास कर रहा है। भागीदारों के साथ कोका-कोला इंडिया फाउंडेशन, एचसीसीबीपीएल और हमारे फ्रैंचाइज बॉटलिंग ऑपरेशंस मिलकर भारत में एकीकृत प्लास्टिक कचरा प्रबंधन और कुशल रीसाइकलिंग को बढ़ावा देने के लिए संवहनीय, सामुदायिक-नेतृत्व वाले कार्यक्रमों के विकास के अथक प्रयास कर रहे हैं।

कोका कोला इंडिया ने हासिल कीं कई महत्वरपूर्ण उपलब्धियां

  • वर्ल्ड विदाउट वेस्ट ग्लोबल इनिशिएटिव के तहत अब तक 1,10,000+ एमटी कचरा किया एकत्रित
  • पैकेजिंग एसोसिएशन फॉर क्लीन एनवायरनमेंट (PACE) की सहभागिता के साथ उद्योग के नेतृत्व वाले पीआरओ (Packaging ReCycling Organaisation) का परिचालन
  • देशभर में 100 एमआरएफ (Material Recovery Facilities) का नेटवर्क तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है

प्रोजेक्ट पृथ्वी:


मटेरियल रिकवरी फैसिलिटीज और स्वच्छ्ता केंद्रों की स्थापना- संग्रह के तंत्र को मजबूत करना:

• 36 शहरों में परिचालन और 4,200+ लाभान्वित अपशिष्ट कामगार
• मुंबई के 43 इलाकों में 15,000+ लोगों पर सकारात्मक रूप से असर डालने के लिए डेट विद ओशन के साथ साझेदारी

सपोर्ट माय स्कूल (SMS)

• भारत में 10,000 से अधिक सरकारी स्कूलों में अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रम
• 2 मिलियन स्टूडेंट्स तक पहुंच

अलग करो – हर दिन तीन बिन प्रोग्राम

• 42 आवासीय सोसायटीज में स्थित 22,000 घरों, 412 कार्यालयों और 87 रेस्तरां में लागू किया गया
• 39 स्कूलों में 23,800 छात्रों को कचरा प्रबंधन के बारे में जागरूक किया गया
• 525 अपशिष्ट कामगार सशक्त हुए, उनकी आजीविका, स्वास्थ्य और स्वच्छता की स्थितियां बेहतर हुईं

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