The Angle
जयपुर।
राजस्थान के मुखिया अशोक गहलोत भले ही चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना और राइट टू हैल्थ बिल के जरिए प्रदेश के हर नागरिक को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाने का सपना देख रहे हैं, लेकिन निजी मेडिकल संगठनों का मुख्यमंत्री को इस मुहिम में साथ नहीं मिल पा रहा है। सरकार और निजी नर्सिंग और मेडिकल संस्थानों के बीच का टकराव राइट टू हेल्थ बिल को लेकर लगातार बढ़ता जा रहा है।
प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम सोसायटी ने किया जयपुर में संपूर्ण बंद का आह्वान
अब प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम सोसायटी की ओर से इस बिल के विरोध में संपूर्ण जयपुर बंद का आह्वान किया गया है। सोसाइटी का कहना है कि सरकार से कई बार इस बिल में सुधार की मांग की गई, लेकिन अभी तक इसे लेकर सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है। सोसायटी का कहना है कि पिछले विधानसभा सत्र में सरकार की ओर से राइट टू हेल्थ बिल लाया गया था। लेकिन बिल में कुछ खामियों के कारण विभिन्न चिकित्सक संगठनों ने इसका विरोध किया। इस पर सरकार ने बिल को वापस ले लिया था। हमारी मांग थी कि इस बिल में जो खामियां हैं, उन्हें दूर किया जाए। हाल ही में चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के साथ चिकित्सक संगठनों की बैठक भी हुई और हमारी ओर से सुझाव दिए गए थे।
हमारे सुझावों को लागू नहीं करना चाहती सरकार- प्राइवेट हॉस्पिटल सोसायटी
सोसायटी के अध्यक्ष का कहना है कि हमारे सुझावों को सरकार लागू नहीं करना चाह रही है। ऐसे में प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम सोसायटी ने 23 जनवरी को जयपुर में संपूर्ण बंद का ऐलान किया है। इस दौरान राजधानी जयपुर के प्राइवेट अस्पतालों में किसी तरह का कोई इलाज नहीं होगा। हालांकि इस दौरान इमरजेंसी सेवाओं को चालू रखा जाएगा। जो मरीज पहले से अस्पताल में भर्ती हैं, उन्हीं का इलाज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि प्राइवेट अस्पताल निःशुल्क इमरजेंसी हालात में पहुंचे मरीजों का इलाज करता है, तो उस राशि का पुनर्भरण कौन करेगा। इसके अलावा सरकार की ओर से प्राइवेट अस्पतालों के चिकित्सकों पर एक प्राधिकरण बनाया गया है। ऐसे में चिकित्सक मरीजों का इलाज नहीं कर पाएगा।