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इतिहास में पहली बार, आरएसएस के नहीं लगेंगे ट्रेनिंग कैंप

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दा एंगल।
नागपुर।

आरएसएस के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा जब कोई भी कैंप नहीं लगाएगा। दरअसल, पूरे देश में इस समय कोरोना की वजह से लाॅकडाउन चल रहा है। लाॅकडाउन को देखते हुए आरएसएस ने भी कई फैसले लिए हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हर साल लगाए जाने वाले कैंपों पर इस साल रोक लगा दी है। 1925 में आरएसएस की स्थापना के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब संघ ने खुद इन कैंपों को आयोजित न करने का फैसला किया है। यह जानकारी संघ के सरकार्यवाह डाॅ. मनमोहन वैद्य ने दी।

गौरतलब है कि आरएसएस हर साल समर ट्रेनिंग कैंपों का आयोजन करता है। देश के अलग-अलग स्थानों पर लगने वाले सभी प्रकार के संघ शिक्षा वर्गों को इस साल के लिए निरस्त कर दिया गया है। संघ सरकार्यवाह ने कहा कि जून तक आरएसएस किसी तरह के एकत्रीकरण कार्यक्रमों का आयोजन भी नहीं करेगा। संघ के इतिहास में पहली बार हुआ है, जब योजना बनने से पहले ही इन कैंपों को निरस्त किया गया है।

मई-जून में होते हैं शिक्षा वर्गों के कैंप

संघ हमेशा से मई-जून में शिक्षा वर्गों कैंपों का आयोजन करता है। यह तीन प्रकार के वर्ग होते है। प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष और तृतीय वर्ष के रूप में इन वर्गों का आयोजन किया जाता है। सामान्य तौर पर प्रथम वर्ष संघ की दृष्टि से बनाए गए हर प्रांत में लगता है, द्वितीय वर्ष संघ योजना के हिसाब से बनाए गए क्षेत्र में लगाया जाता है और तृतीय वर्ष की ट्रेनिंग सिर्फ नागपुर में होती है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा कई स्थानों पर 7 दिनों के विशेष प्राथमिक शिक्षा वर्ग भी इसी समय में लगते हैं।

पहले भी कई बार नहीं लगे थे कैंप

आरएसएस पर कई बार ने पाबंदियां भी लगाई गईं। उस दौरान ये ट्रेनिंग कैंप आयोजित नहीं किए जा सके। संघ जानकारों के मुताबिक, 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ को बैन किया गया था, तब 1948 व 1949 में संघ का तृतीय वर्ष वर्ग नहीं लग पाया था। इसके बाद इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के समय 1976 में आरएसएस का तृतीय वर्ष कैंप नहीं लग पाया था। इसके अलावा राम मंदिर आंदोलन के बाद 1993 में भी संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष नहीं लग पाया था।

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