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भारत के पांचवे प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती आज, किसानों की समस्याओं को दी आवाज

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द एंगल
नई दिल्ली।
भारत के पांचवे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की आज जयंती है। चौधरी चरण सिंह ने अपना सम्पूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया। उन्होने 1979 से 1980 तक प्रधानमंत्री का पदभार संभाला।

चौधरी चरण सिंह की जयंती पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हे श्रद्धांजलि देते हुए कहा की चौधरी साहब आजीवन किसानों की समस्याओं को आवाज देते रहे है और उनके कल्याण के लिए काम करते रहे है। उनके इस योगदान को देश हमेशा याद करेगा। चौधरी चरण सिंह चाहते थे कि देश के किसानों की आमदनी बढ़े, उनकी फसलों का लाभकारी मूल्य मिले और किसानों का मान सम्मान सुरक्षित रहे। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी प्रेरणा से ही किसानों के हित में अनेक कदम उठा रहे हैं। किसानों का वे किसी सूरत में अहित नहीं होने देंगे।

चरण सिंह ने आजादी के लिए दिया बापू का साथ

चरण सिंह का जन्म एक जाट परिवार मे हुआ था। स्वाधीनता के समय उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। इस दौरान उन्होंने बरेली कि जेल से दो डायरी रूपी किताब भी लिखी। स्वतन्त्रता के पश्चात् वह राम मनोहर लोहिया के ग्रामीण सुधार आन्दोलन में लग गए। चरण सिंह के जन्म के 6 वर्ष बाद चैधरी मीर सिंह सपरिवार नूरपुर से जानी खुर्द के पास भूपगढी आकर बस गये थे। यहीं के परिवेश में चौधरी के नन्हें ह्दय में गांव-गरीब-किसान के शोषण के खिलाफ संघर्ष का बीजारोपण हुआ।

कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पूर्ण स्वराज्य उद्घोष से प्रभावित होकर युवा चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया। 1930 में महात्मा गाँधी द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन के तहत् नमक कानून तोडने का आह्वान किया गया।

गाँधी जी ने ‘‘डांडी मार्च‘‘ किया। आजादी के दीवाने चौधरी ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिण्डन नदी पर नमक बनाया। परिणामस्वरूप उन्हें को 6 माह की सजा हुई। जेल से वापसी के बाद चरण सिंह ने महात्मा गाँधी के नेतृत्व में स्वयं को पूरी तरह से स्वतन्त्रता संग्राम में समर्पित कर दिया। 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी वे गिरफतार हुए फिर अक्टूबर 1941 में मुक्त किये गये।

किसानों के नेता थे चौधरी चरण सिंह

वो किसानों के नेता माने जाते रहे हैं। उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। एक जुलाई 1952 को यूपी में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला। उन्होंने लेखापाल के पद का सृजन भी किया। किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया। वो 3 अप्रैल 1967 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।

मध्यावधि चुनाव में उन्होंने अच्छी सफलता मिली और दुबारा 17 फरवरी 1970 के वे मुख्यमंत्री बने। उसके बाद वो केन्द्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की। 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक ख्नाबार्ड, की स्थापना की। 28 जुलाई 1979 को चैधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस के सहयोग से प्रधानमंत्री बने।

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