द एंगल।
जयपुर।
राज्य की अशोक गहलोत सरकार कोरोना के चलते ठप्प हो चुकी प्रदेश की अर्थव्यवस्था के बीच अब राज्य के विकास को लेकर चिंतित है। ऐसे में उसे अब केंद्र से मिलने वाले फंड को लेकर भी चिंता सता रही है। इसी के मद्देनज़र प्रदेश में जारी केंद्र प्रवर्तित योजनाओं के बजट की समीक्षा की जा रही है। राज्य सरकार के मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने पिछले दिनों सभी विभागाध्यक्षों को पत्र लिखकर इन योजनाओं की वर्तमान स्थिति और बजट बकाया रहने के कारणों की जानकारी मांगी थी।
मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने सभी विभागाध्यक्षों को लिखा पत्र
प्रदेश में जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी, पंचायतीराज, कृषि सहित विभिन्न विभागों में केंद्रीय प्रवर्तित योजनाएं चल रही हैं। ये ऐसी जनकल्याण की स्कीम हैं जिनमें केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार को बजट मिलता है। मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने सभी विभाध्यक्षों को इन योजनाओं की सम्पूर्ण जानकारी मांगी है।
कितना बजट, कितना खर्च और कितना बकाया, क्यों
मुख्य सचिव ने विभागाध्यक्षों से इन केंद्रीय योजनाओं की स्थिति पूछी है। इसमें किस योजना का कितना बजट है, इसमें से कितना खर्च किया गया और कितना बजट बकाया है जैसी जानकारियां मांगी गई हैं। इसके अलावा बजट बकाया होने के कारण और किसी स्कीम में केंद्र से पैसा नहीं आ रहा है तो उसके क्या कारण हैं, यह भी विभागाध्यक्षों से पूछा गया है।
तत्कालीन मुख्य सचिव ने भी लिखा था पत्र
बता दें केंद्र प्रवर्तित योजनाओं की जानकारी लेने के लिए 1 नवम्बर 2019 को तत्कालीन मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने भी विभागाध्यक्षों को पत्र लिखा था। उस दौरान योजनाओं के लिए नोडल विभाग भी घोषित किए गए थे। नोडल ऑफिसर को इन मामलों की समीक्षा कर उसकी जानकारी भिजवानी थी, लेकिन रिपोर्ट नहीं दी गई।
केंद्र सरकार से बातचीत भी करने के निर्देश
इधर मुख्य सचिव राजीव स्वरूप की ओर से जारी आदेश में अधिकारियों को योजनाओं के लंबित फंड पर केंद्रीय अधिकारियों से बातचीत करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्य सचिव ने इस मामले को प्राथमिकता से लेने के लिए कहा है।
गहलोत सरकार प्रदेश के विकास के लिए प्रतिबद्ध
बता दें कोरोना काल के बीच भी राजस्थान सरकार प्रदेश के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। खुद मुख्यमंत्री गहलोत भी बार-बार दोहरा चुके हैं कि इस कोरोना काल में भी जीवन और आजीविका बचाना हमारा लक्ष्य है। इसके साथ ही वे यह भी स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि कोरोना लॉकडाउन के चलते तमाम उद्योग धंधे ठप्प पड़ गए थे और राज्य सरकार के पास भी आने वाला रिवेन्यू घटकर 30 फीसदी पर आ गया था। ऐसे में प्रदेश में पूर्व में घोषित विकास कार्यों को पूरा करवा पाना एक बड़ी चुनौती है। इसलिए तमाम योजनाओं की समीक्षा की जा रही है। इसके अलावा राज्य सरकार में भी जो अतिरिक्त खर्चे हैं उनमें भी जहां तक संभव हो सके कटौती की जा रही है, ताकि उनसे बचे पैसे को जनता के कल्याण के लिए खर्च किया जा सके।