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गुलाबचंद कटारिया ने ली असम के राज्यपाल के रूप में शपथ, सतीश पूनिया, राजेंद्र राठौड़ सहित कई नेता रहे मौजूद

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असम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संदीप मेहता गुलाबचंद कटारिया को असम के राज्यपाल पद की शपथ दिलाते हुए

The Angle

गुवाहाटी/जयपुर।

राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी के कद्दावर नेता रहे गुलाबचंद कटारिया असम के राज्यपाल बन गए हैं। असम हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संदीप मेहता ने गुवाहाटी में कटारिया को राज्यपाल पद की शपथ दिलवाई। इस दौरान असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा, राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ समेत बड़ी संख्या में बीजेपी नेता मौजूद रहे।

गुलाबचंद कटारिया को 12 फरवरी को असम का राज्यपाल किया गया था मनोनीत

बता दें 12 फरवरी को असम राज्यपाल के पद के लिए गुलाबचंद कटारिया के नाम का ऐलान हुआ था। जिसे 10 दिन हो चुके हैं। बीजेपी अभी तक अपना नेता प्रतिपक्ष नहीं तय कर पाई है। वहीं असम के नवनियुक्त राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया को भाजपा ने सभी पदों से मुक्त कर दिया है। पार्टी ने उनकी विधायकी और नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा मंगलवार को स्वीकार कर लिया था। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने यह जानकारी दी। हालांकि सदन में पार्टी का नेता कौन होगा, यह अभी तय नहीं है, लेकिन चर्चा है कि उपनेता प्रतिपक्ष होने के चलते राजेंद्र राठौड़ ही नया नेता प्रतिपक्ष चुने जाने तक विपक्ष की तरफ से मोर्चा संभालेंगे।

बेबाक और ईमानदार नेता के रूप में रही कटारिया की छवि

गौरतलब है कि 13 अक्टूबर 1944 को राजसमंद के देलवाड़ा में जन्मे गुलाबचंद कटारिया की छवि एक बेबाक और ईमानदार नेता की रही है। कटारिया के बारे में एक किस्सा है। विधायक बनने के बाद भी कटारिया को जब पैसे की जरूरत पड़ी तो वे उदयपुर में नौकरी करने लग गए थे। जब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को उनके नौकरी करने के बारे में पता लगा तो उन्हें समझाया कि पार्टी के लिए यह ठीक नहीं रहेगा कि आप जैसा नेता नौकरी करे। काफी समझाने के बााद वे नौकरी छोड़ने को तैयार हुए।

जनसंघ के मुश्किल दौर में शुरू हुई कटारिया की सियासी पारी

गुलाबचंद कटारिया ने जिस दौर में राजनीति शुरू की, वह जनसंघ के लिए मुश्किल दौर था। राजनीति में उस वक्त आज के दौर की तरह पैसा नहीं था। कटारिया प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते हुए ही चुनाव लड़े थे। कटारिया के पास वाहन के नाम पर एक मोटरसाइकिल हुआ करती थी, उसी से उदयपुर संभाग के आदिवासी इलाकों में पार्टी का काम करते थे। बाद में वही मोटरसाइकिल उन्होंने उदयपुर के मावली से विधायक धर्मनरायण जोशी को दी।

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