THE ANGLE
दिसपुर।
असम के दो संगठनों, तिवा लिबरेशन आर्मी (टीएलए) और यूनाइटेड गोरखा पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (यूजीपीओ) के कुल 246 आतंकवादियों ने गुरुवार को गुवाहाटी में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के सामने औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण कर दिया और हथियार डाल दिए। असम पुलिस के अनुसार, दोनों संगठनों के सदस्यों ने श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में आयोजित कार्यक्रम में 277 प्रकार के हथियार, हथगोले और 720 राउंड गोला बारूद जमा किए। टीएलए के लगभग 77 कैडरों ने आत्मसमर्पण किया और हथियार डाल दिए, जबकि शेष 169 यूजीपीओ के थे।
असम में सक्रिय है अलग- अलग आतंकी संगठन, 246 आतंकवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया
हिरेन चंद्र नाथ, अतिरिक्त डीजीपी (विशेष शाखा), असम पुलिस ने कहा- “दोनों संगठनों के अध्यक्षों, कमांडर-इन-चीफों, महासचिवों सहित सभी प्रमुख गुर्गों ने आज आत्मसमर्पण कर दिया है। उनके कुछ कैडर, जो जेल में हैं या फरार हैं, शायद रह गए हैं। हम बाद में उनसे निपटेंगे।” 2014 में गठित, टीएलए मुख्य रूप से मारीगांव, नगांव और पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिलों में सक्रिय था, जबकि यूजीपीओ, जो 2007 में बनाया गया था, कोकराझार, चिरांग, बक्सा और विश्वनाथ जिलों में सक्रिय था।
नक्सलवादियों से घिरा हुआ है पूर्वोत्तर भारत
इसी घटना में पांच अलग-अलग आतंकी संगठनों के 462 पूर्व उग्रवादी (राभा नेशनल लिबरेशन फ्रंट-28, नेशनल संथाल लिबरेशन आर्मी-41, आदिवासी ड्रैगन फाइटर्स-61, नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ बंगाली-303 और यूनाइटेड पीपुल्स रिवोल्यूशनरी फ्रंट-29) जिन लोगों ने पिछले साल आत्मसमर्पण किया था, उन्हें उनके पुनर्वास के लिए मुख्यमंत्री द्वारा प्रत्येक को 1.5 लाख रुपये का वित्तीय अनुदान दिया गया था। पूर्वोत्तर भारत नक्सलवादियों से घिरा हुआ है और बड़े पैमाने मे प्रभावित भी है। इसलिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है की कैसे भी पूर्वोत्तर भारत को इस आतंक से बचाया जा सके। पूर्वोत्तर की आने वाली पीढ़ियों को नक्सलवादियों से बचाया जा सके। नक्सलवादी सोच पूर्वोत्तर भारत को धीरे- धीरे खून- खराबे की तरफ धकेल रही है।