The Angle
नई दिल्ली।
ब्रिटेन सरकार ने आखिरकार अपना चुनावी वादा पूरा करते हुए 31 जनवरी को यूरोपीय संघ से खुद के अलग होने यानि ब्रेक्जिट का ऐलान कर ही दिया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ब्रेक्जिट की पुष्टि की और बताया, कि ब्रिटेन अब आधिकारिक तौर पर यूरोपीय संघ से अलग हो गया है। उन्होंने इसे ऐतिहासिक अवसर बताते हुए कहा, ‘आज रात हम यूरोपीय संघ (EU) से अलग हो गए और ब्रिटेन के लिए यह एक ऐतिहासिक मौका है। आइए हम एक साथ मिलकर ब्रेक्जिट से उत्पन्न होने वाले सभी अवसरों का भरपूर लाभ उठाएंगे, इससे पूरे ब्रिटेन की क्षमता उजागर होगी।’
Tonight we have left the EU – an extraordinary turning point in the life of this country. Let us come together now to make the most of all the opportunities Brexit will bring – and let’s unleash the potential of the whole UK. 🇬🇧
— Boris Johnson (@BorisJohnson) January 31, 2020
Tonight we are leaving the European Union. pic.twitter.com/zZBsrf4BLe
— Boris Johnson (@BorisJohnson) January 31, 2020
जनमत के ज़रिए जनता ने दिया था ब्रेक्जिट का फैसला
इसी के साथ ब्रिटेन का यूरोपीय संघ के साथ 47 साल पुराना साथ टूट गया और सदस्यता औपचारिक रूप से समाप्त हो गई। बता दें कि ब्रिटेन की जनता ने लगभग साढ़े तीन साल जनमत के ज़रिए ब्रिटेन के ईयू से अलग होने के पक्ष में मतदान किया था। इसके बाद ही ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने वादा किया था कि ‘ब्रेक्जिट होकर रहेगा’।
हालांकि, यूरोपीय संघ (Europian Union- EU) के तीन प्रमुखों ने ब्रिटेन के अलग होने का स्वागत किया और इसे यूरोप के लिए नई सुबह बताया। इसके साथ ही उन्होंने ब्रिटेन को यह चेतावनी भी दी, कि ब्रेक्जिट के बाद अब वह यूरोपीय संघ की सदस्यता का लाभ नहीं उठा सकेगा। ब्रेक्जिट के बाद ईयू ने भी साफ कर दिया है कि वे ब्रिटेन के आगे झुककर समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन को यूरोपीय संघ के बाजार तक पूरी तरह से पंहुच तब तक नहीं दी जाएगी, जब तक वह यूरोपीय कामगारों, कर और पर्यावरण नियमों को स्वीकार नहीं करता है।
"Tonight the sun will set on 47 years of the UK’s membership of the EU. Tomorrow marks a new dawn for Europe," @EP_President.
Statement by Parliament President David Sassoli along with the Presidents of the Council and Commission → https://t.co/13aA7mMKPt pic.twitter.com/NUtXCuk2zI
— European Parliament (@Europarl_EN) January 31, 2020
ब्रेक्जिट का भारत पर होगा मिला-जुला प्रभाव
ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से अलगाव वैश्विक स्तर पर गहरा प्रभाव छोड़ने वाला होगा। यह प्रभाव फिलहाल सैद्धांतिक होगा और इसके व्यावहारिक असर का बड़े पैमाने पर दिखने के आसार कम ही हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था को यह कई तरह से प्रभावित करेगा। वहीं अगर भारत के नज़रिए से ब्रेक्जिट को देखा जाए, तो इससे भारत को जहां कुछ फायदे होंगे तो वहीं कुछ नुकसान भी भारत को उठाना पड़ेगा।
ब्रेक्जिट के बाद नहीं बदलेंगी ये चीजें
ब्रिटेन या यूरोपीय संघ के नागरिकों को करीब से प्रभावित करने वाली ज्यादातर चीजों में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं होगा। सामान्य रूप से व्यवसायों का संचालन किया जाएगा। इसका अर्थ है कि एक उपभोक्ता के रूप में किसी पर ब्रेक्जिट का कोई प्रभाव नहीं होगा। इसके साथ ही अलगाव की प्रक्रिया के दौरान यूरोप में आवाजाही पर भी किसी प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। दोनों जगहों के लोग बिना किसी परेशानी के यात्रा कर सकेंगे।
सैद्धांतिक ज्यादा, व्यावहारिक कम
ब्रेक्जिट का असर व्यावहारिक की बजाय सैद्धांतिक रूप से ज्यादा होगा। ब्रिटेन यूरोपीय संघ से भले ही खुद को अलग कर चुका हो, लेकिन वह यूरोपीय संघ के सभी कानूनों और यूरोपीय अदालतों के आदेशों का पालन करना जारी रखेगा। यही नहीं आगामी महीनों में ब्रिटेन यूरोपीय संघ के बजट में अपने योगदान को भी जारी रखेगा। साथ ही यूरोपीय संघ के कानून में अगर किसी तरह का बदलाव होता है तो ब्रिटेन उसका भी पालन करेगा। इससे साफ है कि यह बदलाव सैद्धांतिक ज्यादा है और व्यावहारिक कम। लेकिन अब ब्रिटेन यूरोपीय संघ के संस्थानों में कोई सार्थक प्रतिनिधित्व नहीं करेगा और यूरोपीय संघ के नेताओं की किसी भी बैठक में शामिल नहीं होगा।
ब्रेक्जिट से भारत पर होंगे ये नकारात्मक प्रभाव
- थोड़े समय के लिए सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट आ सकती है।
- पौंड का गिरता मूल्य कई मौजूदा अनुबंधों के लिए घाटे का सौदा हो सकता है।
- देश के सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र पर अल्पकाल में नकारात्मक असर पड़ सकता है।
- विदेशी पूंजी निकलने और डॉलर की कीमत बढ़ने से रुपए की कीमत में गिरावट आ सकती है।
- पौंड और स्टर्लिंग की कीमतों में गिरावट के कारण ब्रिटेन से होने वाले भारतीय निर्यात को नुकसान होगा।
- यदि दुनिया यह धारणा बनाती है कि भारत में निवेश जोखिम भरा है, तो विदेशी पूंजी के बाहर जाने की भी आशंका है।
- कई भारतीय कंपनियां लंदन स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हैं और कई का लंदन में यूरोपीय मुख्यालय है। ब्रिटेन इसका फायदा उठाएगा।
ब्रेक्जिट से होंगे भारत को कई फायदे भी
- भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापारिक संबंधों को ब्रेक्जिट बढ़ावा दे सकता है।
- अब ब्रिटेन भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा के लिए स्वतंत्र होगा।
- कई विशेषज्ञ यह सोचते हैं कि ब्रिटेन की मुद्रा का कमजोर होना भारत के लिए अच्छी खबर हो सकती है।
- पौंड का मूल्य गिरने से भारतीय कंपनियां कई हाइटेक संपत्ति हासिल करने में सक्षम हो सकती हैं।
- दुनियाभर के निवेशक अशांत समय में सुरक्षित ठिकाने ढूंढते हैं। ऐसे में भारत स्थिरता और विकास दोनों के लिए मुफीद हो सकता है।
- भारत एक निर्यातक की तुलना में अधिक आयात करने वाला देश होने के चलते इसका प्रभाव भारत के लिए सकारात्मक हो सकता है।
- पौंड और स्टर्लिंग के मूल्य में गिरावट के कारण, यूके से आयात करने वालों को लाभ होगा। ब्रिटेन में सक्रिय भारतीय निर्यात कंपनियों को भी लाभ हो सकता है।