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हर परिस्थिति में बखूबी अपना फर्ज निभा रहे है लैब टैक्नीशियन्स, 1.75 लाख जांचे प्रतिदिन फिर भी मांगे पूरी नहीं

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The Angle
जयपुर।
वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना के शुरू होने के बाद राज्य के समस्त लैब टैक्नीशियन्स ने ना केवल राजस्थान की 7.5 करोड़ जनता की जांच कार्य को विषम परिस्थितियों में बखूबी निभाया है। बल्कि कोरोना काल में भी प्रतिदिन एक लाख जांचों का सरकार का लक्ष्य भी पूरा किया है। यहां तक की मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना के चलते पड़ोसी राज्यों के मरीजो का अत्यधिक कार्यभार भी प्रदेश के लैब टेक्नीशियन पर ही है।

बीमारी के इलाज से पहले लैब टैक्नीशियन्स की अहम भूमिका

कोई भी इलाज हो, चाहे कोरोना या अन्य दूसरी बीमारी का, वो पूरी तरह से जांचों पर ही निर्भर है। विश्व में जब भी कोई नया संक्रमण फैलता है जांच करने वाले लैब टैक्नीशियन्स को सबसे पहले इसका सामना करना पड़ता है लेकिन राजस्थान में जांच करने वाले लैब टेक्नीशियन की माँगो की अनदेखी हो रही है। 2003 में योग्यता संशोधन हुआ लेकिन 2006 में छठे वेतन आयोग में भी उनके साथ अन्याय हुआ उसके बाद 2013 में भटनागर कमेटी ने गलत योग्यता का आकलन कर अन्याय किया और आज पड़ोसी राज्य तमिलनाडु उत्तराखंड हरियाणा यहां तक की पश्चिम बंगाल में भी ग्रेड पे 2400 को बढ़ाकर 4200 किया गया है एवं पदनाम भी राजस्थान से बेहतर हैं।

गांधीवादी तरीकों से सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश

आईसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार कोरोना के सैंपल का कार्य ईएनटी चिकित्सक का है लेकिन विभाग में सब ने हाथ खड़े कर दिए तो इस कार्य को राज्य के समस्त लैब टेक्नीशियन ने अपने हाथ लिया और आरटी-पीसीआर और मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना को शत प्रतिशत सफल बनाने का काम किया इन सबके चलते कई बार सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश भी की जिसमें तमाम विधायक व जनप्रतिनिधियों जिला कलेक्टर द्वारा ज्ञापन एवं अत्यधिक कार्य करके संपूर्ण कैडर के द्वारा माँगो के समर्थन में सामूहिक रक्तदान करके गांधीवादी तरीकों से सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की गई लेकिन फाइल फुटबॉल की तरह इधर से उधर घूम कर वापस विभाग में आकर रुक जाती है।

सरकार कर रही है अनदेखी

लगातार अपना कार्य करने के बावजूद सरकार पूरी तरह से इस वर्ग की अनदेखी कर रही है जहां कई कैडेरो के काम हुए जिनमें किसी का कैडर गठन तो किसी का पदनाम और किसी की आर्थिक मांगे पूरी की गई लेकिन आज तक लैब टेक्नीशियन संवर्ग की वित्तीय और गैर वित्तीय मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया है।

सहमति बनी लेकिन मांगे पूरी नहीं

लैब टेक्नीशियन संघ के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह और मीडिया प्रभारी संतोष शर्मा ने बताया कि हमने गांधीवादी तरीके से सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की लेकिन पूरी तरह निराशा हाथ लगी। ऐसा महसूस होता है जैसे गांधीवादी आंदोलनों की वर्तमान समय में कोई अहमियत नहीं रही आज से लगभग 1 महीने पूर्व विभाग में लैब टेक्नीशियन रेडियोग्राफर संवर्ग की मांगों के लिए वार्ता की कई मांगों पर सहमति बनी लेकिन आज तक एक भी मांग पूरी नहीं हुई।

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