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भारत में लर्निंग को बदलने वाली शिक्षण और प्रौद्योगिकी क्रांति

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द एंगल।

एजुकेशन डेस्क।

कोविड-19 लॉकडाउन के चलते देशभर में सभी स्कूल्स और कॉलेजेज बंद हैं। ऐसे में क्‍लास में होने वाली पढ़ाई (लर्निंग) बंद हो जाने से देश के लगभग 200 मिलियन विद्यार्थी बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। अगर शैक्षणिक संस्थान और सरकार ने जल्द से जल्द पढ़ाई की इस परंपरागत पद्धति को नहीं बदला तो इन छात्रों की शिक्षा पर बुरा असर पड़ेगा। इसके लिए कुछ स्कूलों और संस्थानों ने शुरुआत कर दी है। इन्होंने ई-लर्निंग समाधानों को जल्दी से अपनाया है, जो भारतीय शैक्षिक प्रणाली को भी फिर से संचालित करने की क्षमता रखते हैं। नई तकनीक को अपनाते हुए सावधानी बरती जानी चाहिए, क्‍योंकि वे आसान समाधान नहीं हैं और किसी स्थाई लर्निंग नतीजे तक नहीं ले जाने वाले हैं।

एमटीएल ने की थी ऑनलाइन लर्निंग सॉल्यूशन की शुरुआत

भारत की सबसे भरोसेमंद प्रिंट और टेक्नोलॉजी कंपनियों में से एक, मणिपाल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (Manipal Technologys Ltd. – MTL), ने 2015 में ऑनलाइन लर्निंग सॉल्यूशन की शुरुआत की थी। केन्या के सबसे बड़े पब्लिशर लॉन्गहॉर्न पब्लिशर पीएलसी के साथ साझेदारी करके, एमटीएल ने 150 से अधिक लॉन्गहॉर्न लर्निंग प्लेटफॉर्म का विकास और कार्यान्वयन किया था, जिसने केन्या के 250 हजार से अधिक छात्रों को लाभ पहुंचाया है। इस लर्निंग मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म को खराब और कम इंटरनेट कनेक्टिविटी को ध्‍यान में रखते हुए बनाया गया था।

एमटीएल ने बैंडविड्थ चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए बनाया था MiClass

एमटीएल के डिजिटल सॉल्यूशंस बिज़नेस के वाइस चेयरमैन गुरुप्रसाद कामथ ने बताया कि “प्‍लेटफॉर्म “MiClass” को बैंडविड्थ चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था, जो वीडियो आदि को स्ट्रीमिंग करने के दौरान पूर्ण रूप से विकसित ऑनलाइन शिक्षा में निवारक के रूप में कार्य कर सके। प्‍लेटफॉर्म छात्रों को उनके नियमित पाठ्यक्रम की जानकारी देने के लिए ई-पाठ्यपुस्तकों, नोट्स और आंकलन का उपयोग करता है और बेसिक स्मार्टफोन वाला कोई भी व्‍यक्ति इसका उपयोग कर सकता है। उपयोग करने में यह प्लेटफॉर्म सरल है और पूरे वेब पर एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफार्मों पर उपलब्ध है, और यह डेस्कटॉप ऐप के रूप में भी उपलब्ध है। चूंकि यह हल्का है, इसलिए घर से शिक्षा को जारी रखने में इसके लिए भारी डेटा पैक की आवश्यकता भी नहीं होती है।”
 

भारत भी उठा सकता है ऑनलाइन लर्निंग का लाभ

वर्तमान परिदृश्य में, भारत भी ऐसी तकनीक का लाभ उठा सकता है, जहां 51 हजार से अधिक कॉलेज और लगभग 1.4 मिलियन स्कूल हैं। सितंबर 2019 तक भारत में 5 से 11 वर्ष के आयु समूह में 66 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता थे। भारत को कई प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में भारतीय भाषाओं में दिए जा रहे शिक्षण की चुनौती का भी सामना करना है।

ऑनलाइन लर्निंग के लिए उपयोग किए जा रहे वर्तमान उपाय कारगर नहीं

वर्तमान में सभी राज्यों की और सीबीएसई की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। व्यावसायिक संस्थान पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग करके कक्षाएं जारी रख रहे हैं। ऐसे में अपनाए जा रहे ये तरीके न तो सुरक्षित हैं और न ही पूर्ण समाधान प्रदान करते हैं। दूरदराज के शिक्षण हेतु बदलाव लाने के लिए कम बैंडविड्थ की उपलब्धता, मोबाइल-फर्स्‍ट दृष्टिकोण और भारत के लिए भाषा की विशेष चुनौतियों पर विचार करना होगा। पिछले कुछ हफ्तों में, वर्चुअल क्लासरूम प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन कोर्स प्रोवाइडर्स की गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

कर्नाटक और तेलंगाना ऑनलाइन लर्निंग मेथड्स पर कर रहे विचार

कर्नाटक और तेलंगाना में राज्य सरकारें ऑनलाइन शिक्षण विधियों का उपयोग करने पर विचार कर रही हैं। जल्द ही, अन्य राज्य सरकारें भी ये तरीके अपना सकती हैं। विभिन्न राज्य सरकारें पहले से ही छात्रों को प्रभावी ढंग से ऑडियो-विजुअल के साथ पढ़ाने के लिए स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के अंतर्गत स्मार्ट क्‍लासेज चला रही हैं। हालांकि, इन कक्षाओं को वर्चुअल कक्षाओं में बदलने के मामले में अभी वे एक कदम पीछे हैं।

यह परीक्षण का दौर है और संस्थान ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्मों को अपना कर अपने बुनियादी ढांचे के लागत के मामले में महत्वपूर्ण बचत कर सकते हैं। एमटीएल द्वारा भाषा क्षमताओं के साथ तैयार किए गए प्लेटफॉर्म को अपनाना आने वाला भविष्य हो सकता है।

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