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जयपुर।
भगवान शिव का त्योहार महाशिवरात्रि कल देशभर में बड़े उल्लास और उत्साह के साथ मनाई जाएगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का दिन बेहद खास होता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसे तो हर महीने शिवरात्रि आती है, लेकिन फाल्गुन मास की चतुर्दशी को आने वाली महाशिवरात्रि का विषेष महत्व होता है। महाशिव रात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात का पर्व है। धार्मिक मान्यता यह है कि इस दिन पूजा और व्रत करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
चारों प्रहर होगी पूजा-अर्चना
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए महाशिवरात्रि के पर्व पर रात्रि जागरण करके चारों प्रहर पूजा-आराधना करने का विधान है। एक मान्यता ये भी है कि इसी दिन शिव जी 64 शिवलिंग के रूप में संसार में प्रकट हुए थे। जिनमें से लोग उनके 12 शिवलिंग को ही ढूंढ पाए। जिन्हें हम 12 ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं। भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन सच्ची निष्ठा से पूजा आराधना करने से भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। इस दिन कुछ विशेष उपाय करके आप धन,नौकरी और व्यापार से संबंधित समस्याओं से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। महाशिवरात्रि से पूर्व देषभर में षिव मंदिरों में विशेष सजावट की गई है।
भगवान शिव की पूजा विशेष सामग्री के साथ
भगवान षिव की आराधना का दिन शिवरात्रि पर मंदिरों में उनके भक्त सुबह से ही जुटने लग जाते हैं। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शिव के साथ माता पार्वती की पूजा भी की जाती है। शिवरात्रि के दिन रात में पूजा करना सबसे फलदायी माना गया है। इस दिन भगवान शिव की पूजा विशेष सामग्रियों के साथ की जाती है। पूजा जैसे पुष्प, बिल्वपत्र, भाँग, धतूरा, बेर, जौ की बालें, आम्र मंजरी, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, दही, देशी घी, शहद, गंगा जल, साफ जल, कपूर, धूप, दीपक, रूई, चंदन, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, गंध रोली, इत्र, मौली जनेऊ, शिव और माँ पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, वस्त्राभूषण, रत्न, पंच मिष्ठान्न, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन आदि।