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विधायक संयम लोढ़ा ने विधानसभा में भाजपा को दिखाया आईना

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विधायक संयम लोढ़ा

The Angle

जयपुर।

राजस्थान विधानसभा में मुख्यमंत्री के सलाहकार विधायक संयम लोढ़ा ने राजवेस्ट प्रकरण को लेकर भाजपा को आईना दिखाया। विधायक लोढ़ा ने विधानसभा में कहा कि 13 नवंबर 2006 को भारत सरकार द्वारा कपूर डी एवं जालीपा ब्लॉक के लिग्नाइट खनन हेतु आरएसएमएम का पथ आवंटन किया गया। इस आवंटन की मुख्य शर्त संख्या एक में यह स्पष्ट उल्लेख है कि यह खनन या तो आरएसएमएम करेगी या ऐसे संयुक्त उपक्रम के माध्यम से करेगी जिसमें आरएसएमएम की हिस्सेदारी हो।

उपक्रम का एग्रीमेंट 2006 में किया गया हस्तांतरित- सिरोही विधायक

लोढ़ा ने कहा कि राज वेस्ट के साथ जो आरएसएमएम का संयुक्त उपक्रम बाड़मेर लिग्नाइट माइनिंग कंपनी लिमिटेड बनाया गया है, उसमें आरएसएमएम की हिस्सेदारी 51% एवं राजवेस्ट की 49% रखी गई है। ऊर्जा विभाग ने राजवेस्ट के साथ इंप्लीमेंटेशन एग्रीमेंट 29 मई 2006 को हस्ताक्षरित किया है। इंप्लीमेंटेशन एग्रीमेंट के शर्तों के अनुरूप संयुक्त उपक्रम का एग्रीमेंट 27 दिसंबर 2006 को हस्ताक्षरित किया गया। उपरोक्त सभी घटनाएं इंप्लीमेंटेशन एग्रीमेंट हो, एग्रीमेंट के हस्ताक्षर हो न हो, भारत सरकार द्वारा आरएसएमएम के पक्ष में खनन पट्टे जारी करना हो, ये सभी घटनाएं जब घटित हुईं, तब राज्य में भाजपा की सरकार थी, कांग्रेस की नहीं और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया थीं।

संयम लोढ़ा बोले- सरकार ने तीन बार आगे खिसकाई अनुबंध की तिथि

विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि बाड़मेर में दो खानें हैं- कपूरडी और जालीपा के पट्टे आरएसएम के पक्ष में जारी हुए थे, जिनमें से कपूरडी के पट्टे को संयुक्त उपक्रम को हस्तातंरित करने का अनुबंध 12 अक्टूबर 2011 को हुआ। जबकि जालीपा का अनुबंध 25 मई 2015 को हुआ। ऑडिट ने जो तेरा बनाया है वह जालीपा के संबंध में बनाया है। लोढ़ा ने कहा कि जालीपा हेतु भारत सरकार से संयुक्त उपक्रम के पक्ष में पट्टा हस्तांतरण की अनुमति प्राप्त न होने के कारण सरकार उससे अनुबंध नहीं कर पा रही थी और तीन बार सरकार ने अनुबंध की तिथि आगे खिसकाई।

पहली बार 12 जून 2014 की चिट्ठी से दूसरी बार 5 अगस्त 2014 की चिट्ठी से और तीसरी बार 24 अप्रैल 2015 की चिट्ठी है और फिर भारत सरकार से अनुमति प्राप्त हुए बिना 25 मई 2015 को संयुक्त उपक्रम से पट्टा हस्तांतरण की संविदा का पंजीयन कर लिया गया। यह सभी भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुआ है।

भाजपा सरकार में ही हुआ राजवेस्ट के साथ इंप्लीमेंटेशन एग्रीमेंट- लोढ़ा

भारत सरकार की अनुमति के बिना जो यह संविदा पंजीयन हुआ उसको भारत सरकार ने शुरुआती अपने पत्र दिनांक 18 मई 2016 के माध्यम से शून्य घोषित कर दिया और यह शून्य घोषित करना ही ऑडिट के उस पैरा के आधार पर जिसके आधार पर ऑडिट 2,436 करोड़ रुपए की वसूली करने की अभिशंसा की। विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि सबसे जरूरी बात यह है कि राजवेस्ट कंपनी के साथ इंप्लीमेंटेशन एग्रीमेंट हुआ भाजपा के समय भारत सरकार को आरएसएमएम को खनन आवंटित हुए भाजपा के समय।

संयम लोढ़ा बोले- भाजपा के गलत काम को छिपाकर कांग्रेस के माथे ठीकरा फोड़ रहे राठौड़

संयुक्त उपक्रम पट्टों में खनन करने का संयुक्त उपक्रम के माध्यम से राजवेस्ट को खनन का अधिकार दिया गया। भाजपा के समय जालिपा के पट्टा हस्तातंरण की संविदा का पंजीयन हुआ। भाजपा के समय आडिट का पैरा बना, भाजपा के समय उस पैरा की पालना करने की बजाय भारत सरकार को 23 जून 2016 भाजपा के समय और उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ भाजपा के गलत काम को छिपाकर पूरा ठीकरा कांग्रेस के माथे फोड़ रहे हैं।

विकास कार्यों में नहीं हो किसी तरह की राजनीति- संयम लोढ़ा

लोढ़ा ने कहा कि कांग्रेस विकास कार्यो में न तो राजनीति करती है और न व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने का प्रयत्न करती है। कांग्रेस ने सदैव यह माना है कि इस कोयले से जो लगभग हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन राज्य को मिल रहा है, वह राज्य के लिए आवश्यक है और इसी भावना के अनुरूप कांग्रेस सरकार द्वारा दिसम्बर 2018 के बाद से विचार विमर्श किया गया। पत्राचार किया गया और मजबूती से पक्ष रखा गया कि इन पट्टों को जो संयुक्त उपक्रम को हस्तांतरित किया गया है, राज्य हित में है, जनहित में है और नियम 31 के अंतर्गत शिथिलता देकर केन्द्र सरकार इनकी अनुमति प्रदान कर सकती है। विकास कार्यो में किसी तरह की राजनीति नही की जानी चाहिए।

सरकार का पक्ष आने तक खनन बंद करने से बिजली उत्पादन पर पड़ेगा असर- सिरोही विधायक

विधायक संयम लोढ़ा ने कहां कि जहां तक वसूली नही करने का प्रश्न है तो मई 2016 से दिसम्बर 2018 तक ढाई वर्ष की अवधि में भाजपा सरकार के कार्यकाल के समय भी कोई वसूली नहीं हुई है और कांग्रेस सरकार ने भी केन्द्र सरकार को इस पत्र को नियमित करने का पत्र लिखा है। जब तक केन्द्र सरकार से इस बारे में कोई स्पष्ट सहमति या असहमति नहीं आ जाती, तब तक ऑडिट के निष्कर्षो के आधार पर खनन बंद कर वसूली करने का सीधा सा अर्थ होगा हजार मेगावाट के बिजली उत्पादन को बंद करना। राज्य में बिजली की कमी है और कोई जनहित की सरकार जनता को परेशान करने का एक पक्षीय निर्णय नही कर सकती।

सिरोही विधायक ने सदन में बताया भाजपा और कांग्रेस के चंदे का लेखा-जोखा

लोढ़ा ने कहा कि जहां तक चंदे का सवाल है तो वर्ष 2016-2017 में कांग्रेस को राजवेस्ट के 5 करोड़ के चंदे सहित कुल 41 करोड़ 90 लाख रुपए का चंदा मिला और जबकि भाजपा को 532 करोड़ 27 लाख का चंदा मिला। क्या उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ को 41 करोड़ के चंदे और 532 करोड़ के चंदे में कोई अंतर दिखता है। राजनीतिक शुचिता की बात होती तो राजेन्द्र राठौड़ को मिले इतने बड़े चंदे की बात करनी चाहिए। किस-किस से कितना-कितना मिला, क्या राजेन्द्र राठौड़ यह सवाल भाजपा के शीर्ष नेताओं से पूछ सकते हैं और उनके उत्तर से जनता को अवगत करा सकते है। लोढ़ा ने कहा कि सदन भी इस बात पर पूरी जानकारी चाहेगा।

विधायक लोढ़ा ने पूछा- किन कारणों से राजवेस्ट के साथ अनुबंध निरस्त नहीं किया ?

विधायक लोढ़ा ने कहा कि राजवेस्ट प्रकरण में यह उल्लेखनीय है कि जब मई 2016 में भारत सरकार ने अनुमति देने से मना कर दिया तो किन कारणों से और कितना चंदा लेकर भाजपा सरकार ने राजवेस्ट के साथ अनुबंध को निरस्त नहीं किया। यदि तभी अनुबंध निरस्त कर देते तो आडिट का पैरा ही नहीं बनता। लोढ़ा ने कहा कि राजेन्द्र राठौड़ ने जो आरोप लगाए हैं उससे यही लगता है कि उनका लक्ष्य कांग्रेस सरकार नहीं है। सारे निर्णय और पैरा आडिट भाजपा सरकार में हुए और भाजपा शासन में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थी।

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