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गालवन घाटी में हुई झड़प में यूनिट का कमांडिंग अफसर सहित चीन के 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए, भारत के 4 जवानों की हालत गंभीर

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दा एंगल।
नई दिल्ली।
भारत और चीन के बीच तनाव कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। दोनों देशों के बीच सैन्य उच्च स्तरीय पर बैठक हो चुकी है। भारतीय सेना ने चीन के सैन्य कमांडर्स को फेसऑफ खत्म करने का प्रस्ताव भी दिया था लेकिन चीन ने उसे मानने से इनकार कर दिया था।

दोनों देशों के बीच लड़ाई की असली वजह लद्दाख में दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा तो है लेकिन ये एक लाइन-मात्र नहीं है। 1962 के युद्ध के बाद जहां जहां दोनों देशों की सेनाओं की तैनाती थी उसे ही आखिरी प्वाइंट मान लिया गया था, लेकिन दोनों देशों के बीच तनातनी की शुरुआत तब शुरू हुई जब भारतीय सेना ने लद्दाख के दुर्गम इलाकों में सड़क और दूसरी मूलभूत सुविधाओं का जाल बिछाना शुरू कर दिया।

चीन को गैलवान नदी पर पुल से एतराज

गैलवान घाटी में मौजूदा विवाद भी गैलवान नदी पर भारतीय सेना द्वारा पुल बनाने से ही हुआ। चीनी सेना को यहां पुल बनाने पर ऐतराज था जिसको लेकर दोनों देशों के सैनिकों में झगड़ा हुआ और फिर चीनी सैनिक टैंट गाड़कर यहां जम गए. इसके बाद भारतीय सेना भी चीनी कैंप से 500 मीटर दूर तंबू गाड़कर जम गई है।

भारत के चार जवान की हालत गंभीर

भारत और चीन के सैनिकों के बीच गालवन घाटी में हुई झड़प का मामला बढ़ गया है। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से कहा कि चीन के 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए हैं, जिनमें यूनिट का कमांडिंग अफसर भी शामिल है। यह अफसर उसी चीनी यूनिट का था, जिसने भारतीय जवानों के साथ हिंसक झड़प की। भारत के 4 जवानों की हालत गंभीर बताई जा रही है। 15-16 जून की दरमियानी रात को गलवान घाटी में हुई झड़प में भारत के कमांडिंग अफसर समेत 20 जवान शहीद हो गए थे, 135 जख्मी हैं।

तीन घंटे चली यह झड़प दुनिया की दो एटमी ताकतों के बीच लद्दाख में 14 हजार फीट ऊंची गालवन वैली में हुई। यह हमला पत्थरों, लाठियों और धारदार चीजों से किया गया। उसी गालवन वैली में, जहां 1962 की जंग में 33 भारतीयों की जान गई थी। उधर, भारत ने चीन की तरफ हुई बातचीत इंटरसेप्ट की थी। इसके मुताबिक, चीन के 43 सैनिक हताहत होने की खबर है, लेकिन चीन ने यह कबूला नहीं है।

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