दा एंगल।
जयपुर।
मंगलवार 13 मई 2008 एक तारीख नहीं एक इतिहास है एक काला इतिहास जो राजस्थान कभी नहीं भुला पाएगा। 12 साल पहले आज के ही दिन शहर में आठ सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। 77 अधिक लोगों की मौत हुई थी और बहुत लोग घायल हो गए थे। जब भी इस तारीख का जिक्र आता है तो दिल में अजीब की टिस से उठती है और मन सोचने लग जाता है कि आखिर उन निरीह लोगों का क्या कसूर था जो उनको इस बम ब्लास्ट में अपनी जान गंवानी पड़ी।
बम ब्लास्ट से सैकड़ों लोगों की गई थी जान
13 मई 2008 मंगलवार का दिन था। शहर में हर जगह आवाजाही बनी हुई थी और लोग अपने रोजमर्रा के काम में व्यस्त थे। मंगलवार का दिन होने की वजह से हनुमान मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी हुई थी। शाम का समय था मंदिरों में हर तरफ आरती हो रही थी। उसी समय शहर में एकाएक धमाकों की आवाजें सुनाई दी। चारों ओर मंदिर की आरती की जगह लोगों की चीत्कार सुनाई पड़ रही थी।
शहर में आठ जगह हुआ था ब्लास्ट
शहर में एक साथ आठ जगह बम ब्लास्ट हुए थे। चारों ओर लाषें बिछने लग गई। हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ था। किसी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर हो क्या रहा है। सब एक दूसरे से हालातों की जानकारी ले रहे थे। इस अफरा-तफरी में लोग अपनोें को ढूंढने लगे। देखते-देखते ही शहर में 77 अधिक लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। अस्पतालों में लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। लोग इस समय पर मदद के लिए आगे आने लगे।
ऐसे में हादसे के गवाह वाली जगह सुनसान पड़ी है. जयपुर के दहशतगर्दों में साजिद बड़ा, मोहम्मद खालिद और शादाब फरार हैं। वहीं, सरगना अतीफ, छोटा साजिद बाटला में मारे गए थे. इसी तरह, आरिफ उर्फ जुनैद, अस्दुल्लाह अख्तर उर्फ हड्डी, अहदम सिद्दी यासीन भटकल अभी जेल में बंद हैं। 11 साल बाद 20 दिसंबर 2019 को ब्लास्ट मामलों की विषेष अदालत ने 4 गुनाहगार मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान, सलमान, सरवर आजमी कोर्ट ने मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। इन गुनाहगारों ने किषनपोल से साइकिल खरीदकर उन पर बम रखकर सिलसिलेवार बम ब्लास्ट को अंजाम दिया था।