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अस्पताल में भर्ती हुए 3 मरीजों में एक हो चुका स्वस्थ- स्वास्थ्य मंत्रालय

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द एंगल।

नई दिल्ली।

देश में लगातार बढ़ रही कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या जहां चिंता बढ़ा रही है तो वहीं दूसरी ओर लगातार बढ़ रही रिकवरी रेट से उम्मीद की किरण भी दिख रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज शुक्रवार को कहा कि 24 घंटों में 1 हजार 273 मरीज ठीक हुए हैं और अब तक देशभर में 16 हजार 540 मरीज कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं। इसके साथ ही अब कोरोना रिकवरी रेट 29.36 पर्सेंट हो चुका है। यानी हॉस्पिटल में भर्ती हुए हर तीन में से 1 मरीज अब ठीक हो चुका है।

24 घंटों में 3,390 मरीज बढ़े, आंकड़ा पहुंचा 56 हजार पार

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने आज बताया कि 24 घंटे में देश में 3 हजार 390 केस सामने आए और इसके साथ देश में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर 56 हजार 342 हो गई है। इनमें से 16 हजार 540 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1 हजार 886 मरीज इस जानलेवा वायरस के चलते अपनी जान गंवा चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि कल तक के एक्टिव कोरोना मरीजों की स्थिति की बात करें तो 3.2 फीसदी ऑक्सीजन सपोर्ट ले रहे हैं, 4.7 फीसदी मरीज आईसीयू में हैं और 1.1 पर्सेंट वेंटिलेटर पर हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी जानकारी, 359 जिलों में कोरोना पर लगाम

लव अग्रवाल ने बताया कि देश में 216 ऐसे जिले हैं जहां अभी तक कोरोना का कोई केस सामने नहीं आया है। 42 जिलों में 28 दिनों से कोई केस नहीं मिला है, तो वहीं 29 जिलों में 21 दिन से कोई केस नहीं आया है। 26 जिलों में 14 दिनों कोरोना का कोई मरीज नहीं मिला तो 46 ऐसे जिले जहां 7 दिन से कोई केस नहीं है। इस तरह कहा जा सकता है कि देश के 359 जिलों में कोरोना संक्रमण की स्थिति नियंत्रण में है।

जून जुलाई में पीक पर होंगे केस ?

कोरोना वायरस केसों के जून-जुलाई में पीक पर पहुंचने के एम्स डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया के दावे को लेकर पूछे गए सवाल पर स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने कहा, “यदि हम आवश्यक दिशा-निर्देश का पालन करें तो हो सकता है हम पीक पर ना जाएं, लेकिन यदि इनका पालन ना किया जाए तो केसों में तेजी की संभावना बनी रहती है।”

कोरोना के संग जीना सीखना होगा

स्वास्थ्य मंत्रालच सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि जब हम प्रतिबंधों में छूट की बात कर रहे हैं, श्रमिकों की वापसी की बात कर रहे हैं ऐसे में हमारे सामने बहुत बड़ी चुनौती है। इसलिए हमें यह भी समझना होगा कि हमें इस वायरस के साथ जीना सीखना होगा। इसके लिए हमें गाइलाइंस को व्यवहार में बदलाव के रूप में स्वीकार करना होगा। इसके लिए समुदाय के स्तर पर सहयोग की जरूरत है। सभी जिलों में हमें व्यवहार में बदलाव लाना होगा।

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