दा एंगल
जयपुर।
आज भारत वर्ष भगवान परशुराम की जयंती मनाई जा रही है। विष्णु के छठे अवतार परशुराम का पृथ्वी पर अवतरण वैशाख मास की शुक्ल तृतीया तिथि को माता रेणुका के गर्भ से हुआ था। जयंती हर साल अक्षय तृतीया के दिन मनाई जाती है, लेकिन इस बार पंचांग में भेद की वजह से कुछ जगहों पर 25 अप्रैल तो कहीं कहीं पर 26 अप्रैल को भी परशुराम जयंती मनाई जाएगी।
पशुरामजी जयंती मनाएंगे सादगी से
गौरतलब है कि इस समय पूरे देश में लॉकडाउन का पालन किया जा रहा है। लॉकडाउन के चलते यह पर्व ब्राह्मण समाजबंधु सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखकर घरों में सादगी से मनाएंगे। माना जाता है कि इनका स्वभाव बहुत क्रोधित था। इस कारण उनको बहुत जल्द ही क्रोध आ जाता था। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब परशुराम जी भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे तो भगवान गणेश जी उन्हें शिव से मुलाकात करने के लिए रोक दिया। इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया। इसके बाद से ही भगवान गणेश एकदंत कहलाने लगे थे।
भगवान शिव के थे परम भक्त
परशुराम विष्णु के अवतार और शिव के परम भक्त थे। इन्हें शिव से विशेष परशु प्राप्त हुआ था। इनका नाम तो राम था, किन्तु शंकर द्वारा प्रदत्त अमोघ परशु को सदैव धारण किये रहने के कारण ये परशुराम कहलाते थे। परशुराम भगवान विष्णु के दस अवतारों में से छठे अवतार थे, जो वामन एवं रामचन्द्र के मध्य में गिना जाता है। परम्परा के अनुसार इन्होंने क्षत्रियों का अनेक बार विनाश किया। क्षत्रियों के अहंकारपूर्ण दमन से विश्व को मुक्ति दिलाने के लिए इनका जन्म हुआ था। ब्राह्मण बंधु आज भगवान परशुराम की जयंती पर अपने घरों में ही पांच दीपक जलाएंगे और घर पर ही भगवान की पूजा-अर्चना करेंगे। हर साल परशुराम जयंती पर विप्र लोग शोभायात्रा निकालते थे, लेकिन इस बार कोरोना वायरस की वजह से पूरे देश में लाॅकडाउन इसलिए इस बार इसे स्थगित कर दिया गया हैं।