दा एंगल।
जयपुर।
जयपुर में पौष माह का आगमन होते ही छोटी काशी के सभी मंदिरों में पौषबड़ा महोत्सव के आयोजन शुरू हो गए हैं। पौष बड़ा नाम का मतलब है दाल की नमकीन पकोड़ी। इस उत्सव को शीतकालीन मौसम के भव्य तरीके से स्वागत करने के लिए मनाया जाता है। मान्यतानुसार, सर्दी के मौसम में चोला की दाल व गेहू के दलिये का हलवा खाने से शरीर को ताकत मिलती है। अतः इसमें सर्दी को ध्यान में रखते हुए पकोडे, दाल-बाटी-चूरमा, मल्टीग्रेन खिचड़ी का भोग प्रसाद बनाकर बांटा जाता है।
रोजगारेश्वर मंदिर में होगा पौषबड़ा
पौष का महीने का चल रहा है हर तरफ पौष बड़े की खुशबू महक रही है। भगवान को पौष खीचड़े का भोग लगाया जा रहा है। जगह-जगह छोटे हो या बड़े मंदिर पौष बड़ो का प्रसाद वितरण किया जा रहा है। जयपुर के प्राचीनतम मंदिरों में से एक छोटी चौपड़ स्थित श्री रोजगारेश्वर मंदिर में भी 2 जनवरी को पौष बड़ों का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन यहां पर आने वाले भक्तों ने मिलकर किया है। इसआयोजन में लोगों को दोना प्रसादी दी जाएगी। इस आयोजन के लिए भक्तों को अच्छा खासा उत्साह देखा जा रहा है। रोज मंदिर में भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार कुछ न कुछ सहयोग कर रहे हैं।
दान पुण्य का होता महत्व
इस महीने में बहुत से बड़े मंदिरों में लंगर प्रसादी का भी आयोजन होता है। पौष महीने में दान-पुण्य का भी बहुत बड़ा महत्व होता है। मकर संक्रांति के लोग अपनी इच्छानुसार लोगों को दान देते हैं। गायों को चारा देना, कपड़े दान करना ऐसे ही कई काम किए जाते हैं। इसी कड़ी में बड़ी चौपड़स्थित लक्ष्मीनारायण बाइजी के मंदिर में पौषबड़ा महोत्सव बडे धूमधाम से मनाया गया। हजारों भक्तों ने भगवान के दर्शन किए और पंगत प्रसादी का आंनद उठाया। पंगत प्रसादी में हजारों भक्ततों ने लक्ष्मी नारायण भगवान के जयकारों के साथ प्रसादी ग्रहण की।