दा एंगल।
नई दिल्ली।
दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही राजधानी मेें सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव बड़े ही दिलचस्प होने वाले हैं। इस बार सीधी टक्कर भाजपा-कांग्रेस और आप पार्टी में है। आप पार्टी अपने पांच साल के कार्यकाल के आधार पर वापस सत्ता में आने की कोशिश में है।
दिल्ली में भाजपा पीएम के नाम पर लड़ेगी चुनाव
वहीं भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे की बदौलत दिल्ली की राजगद्दी पर बैठने की कोशिश करेगी। वहीं कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले तीन बड़े राज्यों राजस्थान-मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ में अपनी सरकार बना चुकी है। इसके बाद महाराष्ट्र-हरियाणा और झारखंड विधानसभा चुनाव में जनता से मिले समर्थन की बदौलत उत्साह में है।
कांग्रेस को उम्मीद है कि वो इन तीनों राज्यों की तरह दिल्ली में भी अपनी जगह बना सकेगी। कांग्रेस के पास दिल्ली में अभी ऐसा कोई चेहरा नहीं है जिसको वो मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर चुनाव लड़ सके। इससे दिल्ली में कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।
आप पार्टी की कमान केजरीवाल के कंधे पर
वहीं 2011-12 में चले इंडिया अगेंस्ट करप्शन कैंपेन के बाद आम आदमी पार्टी का गठन अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हुआ। नवंबर 2012 में बनी पार्टी ने अगले साल ही दिल्ली में हुए चुनावों में 70 में से 28 सीटें जीत लीं। हालांकि, बतौर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कार्यकाल सिर्फ 49 दिन चला। 2015 में हुए विधानसभा चुनावों में आप ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की और 70 में से 67 सीटों पर जीते। दिल्ली में इतनी बड़ी जीत के साथ सत्ता में वापसी ने अरविंद केजरीवाल को राजनीति के नए हीरो के तौर पर पेश किया।
वहीं भाजपा ने अभी हाल में तीन राज्यों में मिली पराजय के बाद राज्य में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को घोषित नहीं किया है। वे इस बाद मोदी के करिश्मे और केन्द्र सरकार की ओर से किए गए कामों की बदौलत जनता के बीच जाएंगे। भाजपा के नेता कुछ समय से दिल्ली में सभा कर कांग्रेस और आप पार्टी को घेर रहे हैं। अभी हाल में दिल्ली में एक सभा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि पार्टी पीएम के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी ने 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में सभी सात सीटों पर कब्जा किया था। ऐसे में अपनी नैया को पीएम मोदी के सहारे पार लगाने की कोशिश करेगी।