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राजस्थान हाइकोर्ट ने निजी स्कूल फीस वसूली मामले पर लगाई 20 अक्टूबर तक रोक

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दा एंगल।
जयपुर।
राजस्थान हाइकोर्ट ने निजी स्कूल फीस वसूली मामले पर 20 अक्टूबर तक रोक लगा दी है। निजी स्कूलों की 70 फीसदी ट्यूशन फीस वसूलने के मामले में रोक को आगे बढ़ाते हुए इस मामले में निर्णय करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार को दी है। सीजे इन्द्रजीत महान्ति व जस्टिस एसके शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार, अधिवक्ता सुनील समदड़िया व अन्य की अपीलों पर सुनवाई की। खंडपीठ ने कहा कि महामारी अधिनियम के तहत राज्य सरकार को शक्तियां हासिल हैं।

सरकार कर सकती है फीस तय

सरकार कोरोनाकाल में फीस तय कर सकती है। सरकार 19 अक्टूबर तक इस संबंध में शपथ पत्र पेश करे। अब इस मामले में अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी। इससे पहले कोर्ट ने पिछली सुनवाई में माना था कि प्री-प्राइमरी कक्षाएं भी फीस कानून के दायरे में आती हैं और स्कूली बच्चों की समस्याओं का ध्यान रखना सरकार की जिम्मेदारी है। अदालत ने मामले में पक्षकारों की बहस पूरी होने पर फैसला बाद में देना तय किया था।
खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा था कि कुछ महीने पहले तक किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि कोरोना संक्रमण से ऐसे हालात होंगे और शिक्षा पर उसका इतना गहरा प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह स्कूली बच्चों की समस्याओं का ध्यान रखे। अदालत ने माना कि स्कूल फीस नियामक कानून की प्रभावी तरीके से पालना नहीं हो पा रही है।

राजस्थान हाइकोर्ट ने फीस वसूली की दी थी छूट

दरअसल, हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 7 सितंबर को प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन व अन्य की याचिकाओं पर निजी स्कूलों को 70 फीसदी ट्यूशन फीस वसूलने की छूट दी थी। एकलपीठ के इस आदेश को राज्य सरकार सहित अन्य के खंडपीठ में चुनौती देने पर खंडपीठ ने एकलपीठ के फीस वसूली के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
राज्य सरकार व अन्य का अपील में कहना था कि एकलपीठ अंतरिम आदेश में ही पूर्ण आदेश नहीं दे सकती और एकलपीठ के समक्ष जिस संस्था ने याचिका दायर की थी वह पंजीकृत नहीं थी। इसलिए एकलपीठ के आदेश पर रोक लगाई जाए।

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