दा एंगल।
जयपुर।
राजस्थान के लोक देवता गोगाजी का आज के दिन जन्म हुआ था। लोग इन्हें जाहरवीर गोगा राणा के नाम से भी जानते हैं। राजस्थान के महापुरुष गोगाजी का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था, इसे गोगा नवमी से जाना जाता है. कथाओं के अनुसार गोगाजी को सांपों का देवता भी कहा जाता है और इस रूप में इन्हें पूजा भी जाता है। गोगा देव को जाहरवीर गोगा राणा या जाहरपीर गोगा जी जैसे नामों से भी जाना जाता है।
गोेगादेव राजस्थान के लोक देवता
गोगा देव को राजस्थान के लोग सांपों के देवता मानते हैं और इसी रूप में उनकी पूजा की जाती है। गोगाजी की मां बाछल देवी निःसंतान थी, संतान को पाने के लिए उन्होंने तपस्या की थी। बाछल देवी की तपस्या देखकर गुरु गोरखनाथ बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने बाछल देवी को पुत्र का वरदान दिया, जिसके बाद गोगा देव का जन्म हुआ। गोगा देव को गोरखनाथ का परम षिष्य माना जाता है। गोगा नवमी की पूजा नौ दिनों तक की जाती है।
प्रदेश में कई जगह भरता है मेला
राजस्थान में गोगा नवमी की अच्छी खासी मान्यता है। प्रदेष के हनुमानगढ़ जिले का एक शहर गोगामेड़ी है। यहां भादों शुक्लपक्ष की नवमी को गोगाजी देवता का मेला लगता है। इन्हें हिन्दू और मुसलमान दोनो पूजते हैं। राजस्थान के अलावा पंजाब और हरियाणा सहित हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में भी इस पर्व को बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार गोगा जी महाराज की पूजा करने से सर्पदंश का खतरा नहीं रहता है। गोगा देवता को साँपों का देवता माना गया है। इसलिए इस दिन नागों की पूजा की जाती है। इस बार कोरोना वायरस की वजह से मेला नहीं भरेगा। गोगाजी के भक्त घर पर ही रहकर उनकी पूजा अर्चना करेंगे।
गोगा नवमी के दिन कई जगह गोगा देव की या तो मिटटी की मूर्ति या घोड़े पर सवार वीर गोगा जी की तस्वीर की पूजा करते हैं। कहीं-कहीं तो सांप की बांबी की पूजा भी की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो भी सच्चे मन से नागों के देव गोगा जी महाराज की पूजा करते हैं उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।