The Angle
जयपुर।
भारतीय वायु सेना का लड़ाकू विमान मिग-27 ने आज अपनी अंतिम उड़ान भरी। इसके बाद इसे भारतीय वायुसेना के बेड़े से विदाई दे दी गई। मिग-27 ने जोधपुर के एयर स्टेशन से अपनी आखिरी उड़ान भरी और इसके बाद एक भव्य समारोह में इसे डीकमीशन कर दिया गया। इस विमान की विदाई भी किसी हीरो की तरह ही रही। क्योंकि इस विमान को ‘करगिल का हीरो’ भी कहा जाता है। इसे भारतीय वायु सेना के बेड़े में 1985 में शामिल किया गया था। तब से अब तक मिग-27 ने 34 साल तक भारत वायुसेना को अपनी सेवाएं दीं। बता दें राजस्थान के जोधपुर एयरबेस से अब तक भारतीय वायुसेना के 7 लड़ाकू विमानों को विदाई दी जा चुकी है। 38 साल पहले 1981 में जोधपुर एयरबेस से मिग-27 का सफ़र शुरू हुआ था।
लाल रंग के मिग विमानों को लोग कहते थे ‘हेमा मालिनी’
26 जनवरी 1981 को तैयार एक विमान डिस्प्ले के लिए भेजा राजपथ गया। क्योंकि यह पहला स्विंग विंग विमान था इसलिए इसे देखकर सब आश्चर्य में पड़ गए। इसके बाद डिस्प्ले के लिए 2 विमानों को लाल रंग से पेंट किया गया। जब लाल रंग के ये विमान उड़ते, तो लोग उन्हें ‘हेमा मालिनी’ कहकर पुकारते थे। वायुसेना के पायलट मिग-27 की ट्रनिंग लेने जोधपुर आते थे। मिग-27 को उड़ाने वाले एक पायलट के अनुसार उनकी पत्नियां इसे सौतन बुलाया करती थीं।
लड़ाकू विमान मिग- 27 ने कारगिल युद्ध में निभाई अहम् भूमिका
मिग- 27 लड़ाकू विमानों ने करगिल युद्ध में भारतीय वायु सेना के लिए काफी अहम् भूमिका निभाई थी। इन लड़ाकू विमानों को भारतीय वायु सेना में 1981 में शामिल किया गया था। यानी 38 साल तक अपनी सेवा देने के बाद ये रिटायर हुए हैं। 3 साल पहले ही हासीमारा में मिग- 27 के दो स्क्वाड्रन डीकमीशन किए जा चुके हैं। बता दें, अब पूरी दुनिया में सिर्फ कजाकिस्तान आर्मी में ही मिग विमानों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
लड़ाकू विमान मिग-27 की ये है खासियत
स्क्वाड्रन 29 इकलौती यूनिट है जो मिग-27 के अपग्रेड वैरिएंट का अब तक इस्तेमाल करती आ रही थी। मिग- 27 का 2006 का उन्नत वैरिएंट आखिरी स्क्वाड्रन में अब तक सक्रिय रहा है। मिग सीरीज़ के अन्य वैरिएंट मिग-23 BN और मिग-23 MF और विशुद्ध मिग- 27 पहले ही भारतीय वायु सेना से रिटायर हो चुके हैं।