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तो इसलिए राजस्थान के सियासी घटनाक्रम को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं वसुंधरा राजे ?

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Vasundhara Raje, Chief Minister of Rajasthan during a party programme at Sardar Patel Marg, Jaipur on March 22, 2014. Express Photo by Partha Paul. Jaipur.

द एंगल।

जयपुर।

राजस्थान में बीते लगभग 1 महीने से सियासी घमासान जोरों पर है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे इस सियासी संग्राम को काबू में करने के लिए पार्टी के कुछ नेता आगे आए हैं। हालांकि सीएम गहलोत सहित कई कांग्रेसी नेताओं ने सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के समक्ष माफी की शर्त रखी गई है। उन्होंने कहा है कि सभी बागी विधायक अगर हाईकमान से माफी मांग लेते हैं तो वापस लौट सकते हैं। कांग्रेस में इसी असमंजस के हालात के बीच पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज भाजपा नेता वसुंधरा राजे की चुप्पी को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

राजे ने बनाई विधायक खरीद-फरोख्त मामले से दूरी, हनुमान बेनीवाल ने बताया साठ-गांठ

कांग्रेस के आंतरिक कलह को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिसा सहित पार्टी के स्थानीय से लेकर केंद्र तक के नेता लगातार सीएम गहलोत पर हमलावर हैं। क्योंकि वे इस उम्मीद में हैं कि अन्य राज्यों की तरह प्रदेश में भी वे कांग्रेस शासित सरकार को गिराने में कामयाब रहते हैं तो उन्हें सत्ता में आने का मौका मिल सकता है। इसीलिए भाजपा के तमाम नेताओं की ओर से भी बयानबाज़ियों का दौर जारी है। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान की भाजपा की कद्दावर नेताओं में शुमार की जाने वाली वसुंधरा राजे ने इस पूरे प्रकरण से दूरी बनाए रखी है। उधर उनपर एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और सांसद हनुमान बेनीवाल गहलोत के साथ सांठगांठ का आरोप लगाते रहे हैं।

वसुंधरा राजे की चुप्पी से काफी खुश है प्रदेश कांग्रेस

हालांकि वसुंधरा राजे ने ट्वीट कर पिछले दिनों कहा था कि वे पार्टी और विचारधारा के साथ खड़ी हैं। लेकिन जब केंद्र से लेकर राज्य स्तर तक के भाजपा नेता लगातार कांग्रेस को घेरने में लगे हुए हैं, तो ऐसे में वसुंधरा राजे की चुप्पी पार्टी को खल रही है। ये बात और है कि वसुंधरा राजे की इस चुप्पी से कांग्रेस खासी खुश है।

वसुंधरा राजे को प्रदेश की राजनीति में साइडलाइन करने का चल रहा खेल

सीएम अशोक गहलोत का कहना है कि वसुंधरा राजे बड़ी नेता हैं। राजे से टक्कर लेने के चक्कर में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया और विपक्ष के उपनेता सरकार गिराने की साजिश में जुटे हैं। वहीं प्रदेश के ऊर्जा मंत्री डॉ.बी.डी.कल्ला का कहना है कि राजे को कमजोर करने के लिए भाजपा का एक गुट जुटा हुआ है। लेकिन ये वसुंधरा राजे का मुकाबला नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को गिराकर भाजपा का वर्तमान प्रदेश नेतृत्व खुद सत्ता में आना चाहता है। भाजपा का प्रदेश नेतृत्व राजे को साइडलाइन करना चाहता है। यानि भाजपा में भी गुटबाज़ी और कुर्सी की लड़ाई दबे सुरों में ही सही लेकिन भाजपा में भी चरम पर पहुंचने वाली है।

पार्टी के मौजूदा हालता से खुश नहीं है वसुंधरा राजे

सूत्रों का कहना है कि वसुंधरा राजे भाजपा के मौजूदा हालात से खुश नहीं हैं। दो दिन पहले गठित हुई कार्यकारिणी में अपने विश्वस्तों के बजाय मदन दिलावर और दीया कुमारी जैसे विरोधियों को जगह देने से वसुंधरा की नाराजगी और बढ़ गई है। बता दें साल 2018 में गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाने को लेकर राजे का भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के साथ टकराव हुआ था।

केंद्र की बजाय राज्य की राजनीति पर फोकस करना चाहती हैं वसुंधरा

मुख्यमंत्री रहते हुए वसुंधरा राजे ने अपने मंत्रिमंडल के आधा दर्जन सदस्यों और कई विधायकों को दिल्ली भेजकर शेखावत को अध्यक्ष नहीं बनाए जाने को लेकर लॉबिंग कराई थी। उसमें वे कामयाब भी रहीं और शेखावत अध्यक्ष नहीं बन सके। उधर विधानसभा के पिछले चुनाव में पार्टी की हार के बाद वसुंधरा को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। लेकिन वसुंधरा राजे की निगाहें अभी भी राष्ट्रीय राजनीति की बजाय प्रदेश की राजनीति पर ही हैं। और शायद यही वजह है कि इस झूठ और कपट के खेल में शामिल होकर या झूठी बयानबाज़ी कर वो अपनी छवि को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती हैं और इसीलिए चुप्पी साधे हुए हैं।

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