देश भर में एक तरफ तो किसान आंदोलन का हल्ला बोल हो रहा है तो वही दूसरी ओर ट्रेड यूनियन की ओर से भी हड़ताल का ऐलान किया गया है। केंद्र सरकार के खिलाफ सेंट्रल ट्रेड यूनियन आज एक दिन की हडताल पर है। इस हडताल में अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ, अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ, और बैंक एम्पलाॅयज फेडरेशन ऑफ इंडिया शामिल है।
नए श्रम कानून के खिलाफ हो रही है हड़ताल
करीब 4 लाख बैंक कर्मचारियों की प्रतिनिधि एआईबीए ने कहा की लोकसभा में कोराबारी सुगमता के नाम पर 27 मौजूदा श्रम कानूनों की जगह लेने वाला नया श्रम कानून पारित किया गया है। यह कानून काॅर्पोरेट जगत के हितो के लिए है। इसमें 75 प्रतिशत कर्मचारियों से नए प्रावधान के तहत कानूनी संरक्षण छीनकर उन्हें श्रम कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया है। उन्होने कहा की वर्तमान में सरकार आत्मनिर्भर भारत के नाम पर निजीकरण के अपने एजेंडे को बढावा दे रही है। लेकिन इसका सहारा लेकर अर्थव्यवस्था के मुख्य क्षेत्र में बडे पैमाने पर निजीकरण कर रही है। बता दे एआईबीई कई बैंकों का प्रतिनिधित्व करता है।
हड़ताल में 30 हजार से भी ज्यादा कर्मचारी ले रहे है हिस्सा
व्यवसायिक बैंक और ग्रामीण बैंक के 30 हजार से भी ज्यादा कर्मचारी इस हडताल में भाग ले रहे है। वहीं इस हडताल से 5 हजार 127 शाखाओं के कामकाज प्रभावित होंगे। इसमें स्टेट बैंक के कर्मचारी शामिल नहीं है। एआईबीईए, भारतीय स्टेट बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक के कर्मचारियों को छोडकर लगभग सभी बैंक कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है। वही भारतीय रिजर्व बैंक के कर्मचारी भी आज देशव्यापी हडताल में शामिल हो रहे है। हडताल का समर्थन रिजर्व बैंक कर्मचारी यूनियन और रिजर्व बैंक एम्पलाॅयज एसोसिएशन ने किया है।
AIBEA के मुताबिक आज बैंक कर्मचारी अपनी मांगों पर भी फोकस करेंगे जैसे बैंक निजीकरण का विरोध, आउटसोर्सिंग और कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम का विरोध, नियुक्तियां, बड़े कॉर्पोरेट डिफॉल्टर्स के खिलाफ कार्रवाई, बैंक डिपॉजिट की ब्याज दर में बढ़ोत्तरी और सर्विस चार्ज में कटौती।